कल अयोध्या ने अपने राम की वापसी देखी. पूरी साज-सज्जा और भव्यता के साथ भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हुआ. इस समारोह में देश-दुनिया के तमाम गणमान्य अतिथि शामिल रहे. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे रीति रिवाज के साथ मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की. बीते कई दिनों से राम मंदिर का मुद्दा काफी गर्माया हुआ था. जहां बीजेपी इसे पीएम की गारंटी के रूप से प्रेसेंट कर रही थी, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के लोग अपना-अपना श्रेय लेने में लगे थे. कुल मिलाकर राम मंदिर पर अलग-अलग तरह के बयानों का सिलसिला जारी है. इसी बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकिय में भी राम मंदिर को लेकर बात की गई.
महरूम शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का आज जन्मदिन है. बालासाहेब ना सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे चर्चित नाम हैं बल्कि कट्टर हिदुत्व का एक चहरा भी थे. चाहे इमरजेंसी के दौर में सीधे सरकार से भिड़ना हो या फिर मुश्किल से मुश्किल राजनीतिक परिस्थिती को अपने पक्ष में मोड़ना, बालासाहेब हर काम में मास्टर थे. आज बालासाहेब के जन्मदिन पर शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में बालासाहेब के इसी चरित्र की व्याख्या की गई है, साथ ही बीजेपी के राम राज्य को लेकर तंज भी कसा गया है.
‘बालासाहेब के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर हुआ राम मंदिर का उद्घाटन’
शिवसेना के मुखपत्र सामना के आज के संपादकीय में लिखा गया कि कल बालासाहेब के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ, यह किसी संयोग से कम नहीं है. इसमें लिखा गया कि अयोध्या राम की है ऐसा दृढ़ता से कहने वाले और उसके लिए उठे आंदोलन में संघर्ष की समिधा डालने वाले नेताओं में शिवसेनाप्रमुख का नाम सबसे ऊपर है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी का वर्तमान नेतृत्व इसके लिए आभारी नहीं है. लेकिन भगवान राम ने 22 जनवरी को मंदिर में प्रवेश करने का जो संकल्प लिया, वह शिवसेनाप्रमुख के जन्मदिन की पूर्व संध्या रही, यह संयोगों का अद्भुत संगम है.
‘क्या देशवासियों की भूख मिटाएंगे पीएम मोदी?’
सामना में बीजेपी पर निशाना साधते हुए लिखा गया कि श्रीराम को तो घर मिल गया, लेकिन देश के लाखों लोग बेघर और भूखे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या जाकर श्रीराम के लिए उपवास किया, लेकिन क्या वे देश के करोड़ों लोगों की भूख मिटाने के लिए उपवास करने जा रहे हैं. भाजपा का अयोध्या उत्सव का मकसद देश को राम के नाम पर सिर्फ ‘मोदी-मोदी’ कराना है. आज हमारे देश से सत्य और नैतिकता समाप्त हो चुकी है और देशभक्ति के गोवर्धन को अपनी उंगली पर धारण करने के लिए शिवसेनाप्रमुख नहीं हैं.
‘शिवसेना को गुजरात लॉबी ने तोड़ दिया’
सामना में एकनाथ शिंदे गुट पर हमला करते हुए लिखा गया कि शिवसेना को मोदी-शाह की भारतीय जनता पार्टी ने अब महाराष्ट्र के गद्दार गुलामों के हाथ सौंप दिया है. सत्ता के क्षणिक टुकड़ों के लिए जैसे ‘मां’ का सौदा किया जाए, वैसे शिवसेना का सौदा जिन लोगों ने किया, उनके हाथों अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठा हुई, यह ठीक नहीं है. शिवसेना महाराष्ट्र की ही नहीं, हिंदुत्व का पंचप्राण है. उन प्राणों की गरिमा को जिन्होंने ठेस पहुंचाई, उनका भविष्य अंधकारमय ही है. महाराष्ट्र की लूट बिना रोक-टोक के की जा सके, इसलिए बालासाहेब की शिवसेना को गुजरात लॉबी ने तोड़ दिया.
‘बालासाहेब होते तो, जंगलराज में आग लगा देते’
सामना ने लिखा कि शिवसेनाप्रमुख गांधी के कई विचारों और रुख से सहमत नहीं थे. वे लोकतंत्र की बजाय शिवराया की शिवशाही में विश्वास रखने वाले थे. ऑन द स्पॉट न्याय उनकी राजनीति का सूत्र था. उन्होंने मराठी लोगों का चूल्हा जलाए रखा. इसीलिए आने वाली पीढ़ियों को यह मानना होगा कि गांधी जैसा ही हाड़-मांस का बाल केशव ठाकरे नामक इंसान महाराष्ट्र में था. यदि शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे न होते तो मराठी मानुष हमेशा के लिए गुलाम हो गया होता. मुंबई महाराष्ट्र से अलग हो गई होती. अगर देश को ‘राममय’ बनाते समय उस हिंदुत्व में धर्मांधता की अफीम मिला दी जाए तो यह महान भारत देश फिर से जंगल युग में चला जाएगाअगर आज बालासाहेब ठाकरे होते तो उन्होंने उस जंगल को ही जला दिया होता.