“खोद मारणी’ हरियाणा की खोज
उन्होंने कहा कि आइटीबीपी को हम प्रैक्टिकली करके बता देंगे कि खोद क्या है? यह हरियाणा की एक खोज है।” डीसीपी की इस बात को लेकर अब विभिन्न किसान संगठनों में रोष देखा जा रहा है। इसमें किसान नेताओं का कहना है कि वह किसी भी पुलिसकर्मी या सोना के जवान से नहीं लड़ना चाहते हैं, क्योंकि वह भी उनके भाई हैं। वे फसल और नसल बचाने के लिए अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जा रहे हैं। जिसको डीसीपी जैसे अधिकारी सरकार के कहने पर उन्हें सरकारी तंत्र और पुलिस बल के दम पर दिल्ली जाने रोकना चाहते हैं। परन्तु वो हर हाल में दिल्ली जाकर रहेंगे। उन्होंने डीसीपी द्वारा किसानों के खिलाफ बोले गए शब्दों का विरोध करते हुए सरकार से डीसीपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
डीसीपी ने भी रखा अपना पक्ष
बता दें की रविंद्र तोमर इस समय गोहाना में बतौर डीसीपी अपने सेवाएं दे रहे हैं। पुलिस विभाग द्वारा किसान आंदोलन पार्ट-टू के चलते कानून व्यवस्था को लेकर उनको कैथल में नियुक्त किया गया है। जोफ़िलहाल गुहला चीका स्थित पंजाब हरियाणा के घग्गर बॉर्डर पर सेना व पुलिस जवानों के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं। वहीं इस मामले को लेकर डीसीपी रविन्द्र तोमर ने भी पत्रकारों को अपना पक्ष रखते हुए प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज की स्थिति जवानों का मूड वॉश व स्थिति को काबू करने की एक नीति करार दिया है।
डीसीपी के खिलाफ की जाए सख्त कार्रवाई: अमरेन्द्र खारा
सर छोटू राम किसान यूनियन के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सरदार अमरेंद्र सिंह खारा ने कहा कि वह डीसीपी रविंद्र तोमर द्वारा किसानों के खिलाफ बोले गए शब्दों का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि डीसीपी को इस तरह का बयान देने से पहले यह सोचना चाहिए था। आखिर वह भी एक किसान के बेटे हैं। हम अपने हकों के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं। परंतु सरकार की मनसा ठीक नहीं है। वह इस आंदोलन को रोकने के लिए किसान और जवानों को आपस में लड़वाना चाहती है। एक किसान नेता होने के नाते वह सरकार से डीसीपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।
डीसीपी को किसानों से मंगनी चाहिए माफ़ी: विक्रम कसाना
वहीं भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के युवा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम कसाना ने कहा कि वैसे तो उनको इस आंदोलन में बुलाया नही गया। परंतु फिर भी यदि सरकार या प्रशासन किसानों पर कोई भी जोर ज्यादती करता है। तो वह अपने भाइयों के साथ खड़े हैं। वह डी.सी.पी द्वारा किसानों के खिलाफ की गई टिप्पणी का पुरजोर विरोध करते हैं। उन्हें किसानों से माफ़ी मगनी चाहिए।
इस मामले में डीपी रविंद्र तोमर ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन को लेकर जवानों का मूड वॉश करने के लिए ऐसा बोला था। इसमें प्रदर्शनकारियों का ध्यान रखने और उनको किसी भी जान माल की हानि न हो। इसके लिए जवानों को पूरी इंटेलिजेंस तरीके से कार्य करने के निर्देश दिए गए थे।