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हरदा पटाखा फैक्ट्री कांड में तत्कालीन संभागायुक्त व कलेक्टर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग, दिग्विजय ने सीएम को लिखा पत्र

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भोपाल। एक हफ्ता पूर्व हरदा जिले के बैरागढ़ गांव में स्थित पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट को लेकर कांग्रेस के नेता प्रदेश की भाजपा सरकार पर भी लगातार हमलावर हैं। इसी सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पटाखा फैक्ट्री मालिक के लाइसेंस को लेकर तत्कालीन संभागायुक्त व कलेक्टर पर आपराधिक प्रकरण प्रकरण दर्ज करने और घायलों को तत्काल उचित मुआवजा देने और जिनके घर टूट गए हैं, उनके जल्द से जल्द पुनर्वास की मांग की है। इसके साथ-साथ उन्होंने घटना की न्यायिक जांच की मांग भी की और दिग्विजय ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं।

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा कि दिनांक 6 फरवरी 2024 को सुबह हरदा जिले के बैरागढ़ गाँव में पटाखा फेक्ट्री में हुई दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए है। मैने दिनांक 11 फरवरी 2024 को हरदा के उस स्थान का दौरा किया था जहाँ यह घटना हुई है। फेक्ट्री में हुये विस्फोट और आग की घटना ने 50 से अधिक घरों को अपनी चपेट में लिया है और लोगों की जान-माल की भारी क्षति हुई है। जिसके लिये हरदा जिला प्रशासन मुख्य रूप से जिम्मेदार है। यह तथ्य सार्वजनिक है कि तत्कालीन कलेक्टर ने इस फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द कर दिया था किन्तु कमिश्नर नर्मदापुरम ने कलेक्टर के आदेश पर एक माह के लिए स्थगन दे दिया और स्थगन की अवधि समाप्त होने के बाद भी फेक्ट्री को काम करने की अनुमति दी गई। इसलिए इस दुखद घटना के लिए कमिश्नर नर्मदापुरम और कलेक्टर हरदा को उक्त अपराध के लिये उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए और इन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।

इस फैक्ट्री में बिहार और मध्य प्रदेश के अन्य जिलों के मजदूर काम करते थे। इनमें से बड़ी संख्या में मजदूर फैक्ट्री मालिक द्वारा बनाये गये अस्थायी घरों या शेड में निवास कर रहे थे जो सभी क्षतिग्रस्त हो गये है, इसलिए क्षतिग्रस्त घरों को या तो जमीन पर गिराकर पूरी तरह से बनाया जाना चाहिए या जिनकी पूरी तरह से मरम्मत की जा सकती है उनकी पूरी तरह से मरम्मत करवायी जाना चाहिए। मेरी जानकारी में यह भी आया है कि हरदा में 600 घरों की एक ईडब्ल्यूएस कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे सभी परिवार जिनके घर रहने योग्य नहीं हैं, उन्हें अस्थायी रूप से उन घरों में स्थानांतरित किया जा सकता है। फैक्ट्री के पास कुछ गरीब लोग सरकारी जमीन पर रह रहे हैं, उन्हें आवासीय भूखंड दिया जाना चाहिए या ईडब्ल्यूएस आवास योजना में समायोजित किया जाना चाहिए और झुग्गियों में निवास कर रहे लोगों को जो आवासीय भूखंड के पट्टे दिए गए हैं, उन्हें फ्री होल्ड किया जाना चाहिए। घायलों को अभी तक कोई मुआवजा नही मिला है, वह तत्काल दिया जाना चाहिए।

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मध्यप्रदेश सरकार ने को फेक्ट्री में काम करने वाले लापता व्यक्तियों की कोई सार्वजनिक सूचना जारी नही की है इससे अभी भी यह भ्रम है कि मरने वाले लोगों की संख्या अधिक हो सकती है। इसलिए फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों की संख्या सार्वजनिक करनी चाहिए तथा फैक्ट्री के मलबे की फोरेंसिक जांच होनी चाहिए। यह घटना कोई सामान्य घटना नही है और इसके लिये प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है इसलिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय करने हेतु न्यायिक जांच स्थापित की जानी चाहिए जो 6 माह में अपनी रिपोर्ट सौंपे। इन फेक्ट्रियों में काम करने वाली या उसके आसपास के क्षेत्र में निवास करने वाली बहुत सी महिलाएँ स्वसहायता समूहों की सदस्य थीं और फैक्टरी में काम करके अपना बकाया ऋण चुका रही थीं, वे अब अपना ऋण नहीं चुका सकती है। ऐसे ऋणों को माफ कर दिया जाना चाहिए।
दिग्विजय ने पत्र में लिखा कि हरदा की इस घटना से सबक लेकर भविष्य में प्रदेश में कहीं भी ऐसी घटना न हो इसके लिए मेरे कुछ सुझाव है :-
1. तमिलनाडु का सिवाकासी भारत में 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन करता है। मध्यप्रदेश सरकार को एक टीम सिवाकासी भेजनी चाहिए जो वहां पर विस्फोटकों का उपयोग करके पटाखों के निर्माण किये जाने और सुरक्षा संबन्धी पहलुओं का अध्ययन करें और राज्य के लिए एक दोषमुक्त नीति तैयार करे।
2. मध्यप्रदेश सरकार को पटाखों के निर्माण हेतु लाइसेंसिंग नीति में निर्धारित मानदण्डों के अनुसार, विशेष रूप से अग्नि सुरक्षा के संबन्ध में आवश्यक निरीक्षणों को सख्ती से लागू करना चाहिए।
3. पटाखे निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों के एक किमी के दायरे में कोई बस्ती नहीं होनी चाहिए।
4. मौजूदा फैक्ट्रियों को बस्ती से कम से कम 1 किमी दूर तत्काल स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया उक्त बिन्दुओं पर तत्काल ध्यान दें तथा उक्त घटना की न्यायिक जाँच करवाने तथा 6 माह में इसकी रिपोर्ट प्राप्त कर रिपोर्ट में की गई अनुशंसाओं का पालन करने हेतु आवश्यक निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

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