पिछले 14 साल में 40,000 से अधिक शवों का किया अंतिम संस्कार, श्मशान भूमि में पति और बच्चों के साथ रहती है यह महिला,
अंतिम संस्कार की पवित्रता का काम करते हुए श्मशान घाट सबसे महत्वपूर्ण सेवाओं में से एक है। यहाँ का माहौल अत्यंत गंभीर और पवित्र होता है और इसे निर्वाह करने वाले लोगों की उत्सुकता और समर्पण का गवाह बनता है। इसी बात की एक अद्भुत मिसाल हैं मयूरभंज की लक्ष्मी जेना, जो अपने परिवार के साथ श्मशान घाट में रहती हैं और इस कठिन कार्य को सम्भालती हैं।
40,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया
लक्ष्मी जेना ने पिछले 14 सालों में अद्भुत समर्पण और सेवा का परिचय दिया है, उन्होंने श्मशान घाट में 40,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया है। उनकी इस निःस्वार्थ सेवा का मान्यतापूर्व अनुभव है, जो समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गयी है। मयूरभंज नगर पालिका के अध्यक्ष कृष्णानंद मोहंती ने बताया कि पहले लक्ष्मी जेना के पति इस कार्य को संभालते थे, लेकिन उनकी बीमारी के कारण अब वे इसे नहीं कर पा रहे हैं।
समाज में साहस व संघर्ष की मिसाल कायम की
ऐसे में, लक्ष्मी जेना ने इस अमूल्य कार्य को अपने ऊपर संभाल लिया है। इस प्रकार की सेवा करते हुए, लक्ष्मी जेना ने समाज में एक महान उदाहरण स्थापित किया है, जो साहस, संघर्ष, और समर्पण की मिसाल है। उनके योगदान को सम्मानित करते हुए समाज के लोगों ने उन्हें गहरा आभार व्यक्त किया है और उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिया है।
इस प्रकार, लक्ष्मी जेना का योगदान न केवल श्मशान घाट में ही नहीं, बल्कि समाज के समृद्धि और उन्नति में भी महत्वपूर्ण है। उनकी सेवा को सराहते हुए, हमें सभी को उनके ऊपर गर्व है, और हमें उनके साथी बनकर समाज की सेवा में योगदान देना चाहिए।