अफगानिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव के लिए आगे की राह तैयार करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र (UN) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस दोहा में दो दिवसीय बैठक कर रहे हैं. इस बैठक में तालिबान ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है. तालिबान इस बैठक में अफगानिस्तान का सोल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में शामिल होना चाहता था. इस बैठक में UN के सदस्यों देशों के दूतों के साथ-साथ अफगान सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं.
इस बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक्स (X) पर अपना पक्ष रखा है. तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “हमारा प्रतिनिधिमंडल बैठक में तभी हिस्सा लेगा जब तालिबान को अफगानिस्तान के सोल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में स्वीकार किया जाएगा.”
UN के सामने रखी थी ये मांगें
सम्मेलन में शामिल होने को लेकर तालिबान ने UN के सामने अफगानिस्तान का एकमात्र प्रतिनिधत्व करने के अलावा कहा, “UN इस बात की गारंटी दे कि कोई भी सम्मेलन में तालिबान के इस्लामिक धर्मगुरुओं की आलोचना नहीं करेगा और अगस्त 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से उन्होंने देश को कैसे चलाया? इस पर सवाल नहीं होगा.” तालिबान ने अपने बयान में अमेरिका के लगाए गए प्रतिबंधों का भी जिक्र किया है. तालिबान चाहता है UN में अफगानिस्तान का अधिकारिक नाम IEA (Islamic Emirate of Afghanistan) हो और तालिबान के झंडे को ही अफगानिस्तान का झंडा माना जाए.
Ministry of Foreign Affairs statement concerning Doha meeting on Afghanistan pic.twitter.com/Mr74Y1DTTm
— Ministry of Foreign Affairs – Afghanistan (@MoFA_Afg) February 17, 2024
बिना तालिबान के कामयाब होगा सम्मेलन?
बिना तालिबान के हिस्सा लिए इस सम्मेलन का किसी ठोस नतीजे पर पहुंच पाना मुश्किल है, क्योंकि अफगनिस्तान में शासन तालिबान का ही है. लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल के डायरेक्टर डेप्रोसे मुचेना ने एक बयान में कहा कि दोहा बैठक सभी अफगान लोगों के अधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए की जा रही कोशिश पर खास असर डालेगी. इसके अलावा मानवीय मदद के लिए अफगानिस्तान में काम कर रहे संगठनों के लिए ये बैठक अहम साबित हो सकती है.