सरफराज खान का नाम आज पूरी दुनिया में गूंज रहा है. दाएं हाथ के इस बल्लेबाज को टीम इंडिया ने राजकोट टेस्ट में डेब्यू का मौका दिया और पहले ही मुकाबले में इस खिलाड़ी ने इंग्लैंड के गेंदबाजों और अपने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया. सरफराज खान ने पहली पारी में 62 और दूसरी पारी में नाबाद 67 रन बनाए. दोनों ही पारियों में उनके बल्ले से कमाल की हाफसेंचुरी निकली. जिस तरह से उन्होंने इंग्लैंड के स्पिनर्स का सामना किया वो सच में काबिलेतारीफ है. सवाल ये है कि सरफराज अपने डेब्यू टेस्ट में ही इतने कमाल और कॉन्फिडेंट कैसे दिखाई दिए? इसका जवाब है सरफराज की कड़ी मेहनत.
सरफराज कैसे बने सुपरमैन?
सरफराज खान ने टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए घरेलू क्रिकेट में हजारों रन बनाए. उनके बल्ले से कई शतक निकले लेकिन इस तरह की बैटिंग करने के लिए उन्होंने जो मेहनत की है वो सच में काबिलेतारीफ है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सरफराज पिछले 15 सालों से रोजाना 500 गेंद खेल रहे हैं और यही वजह है कि वो स्पिनर्स के खिलाफ इतनी कमाल बैटिंग करते हैं. मुंबई के सरफराज की प्रोग्रेस को करीब से देखने वाले एक कोच ने कहा, ‘मुंबई में ओवल, क्रॉस और आजाद मैदान पर रोजाना ऑफ, लेग और बाएं हाथ के स्पिनरों की 500 गेंद खेलने से ही वो स्पिनर्स के खिलाफ बेहतरीन बल्लेबाजी कर पाए.’
पांच कोच ने की मदद
सरफराज खान की सफलता के पीछे एक-दो नहीं बल्कि पांच कोच का हाथ है. सरफराज को तैयार करने का श्रेय सिर्फ उनके पिता नौशाद को नहीं जाता. रिपोर्ट्स के मुताबिक भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी, मोहम्मद शमी के कोच बदरूद्दीन शेख, कुलदीप यादव के कोच कपिल देव पांडे, गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज और भारत ए के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन के पिता आरपी ईश्वरन ने भी सरफराज को निखारने में बड़ा योगदान दिया है. सरफराज ने कोविड लॉकडाउन में भी बैटिंग प्रैक्टिस नहीं छोड़ी. वो मुंबई से 1600 किमी. दूर आजमगढ़ गए और वहीं उन्होंने ट्रेनिंग की.