आप लोगों ने भगवान शिव के मंदिर में अक्सर देखा होता कि नंदी का मुंह शिवलिंग की ओर होता है और लोग बड़ी ही भक्ति से धार्मिक विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद लोग अपनी मनोकामना के लिए नंदी के कान में अपने मन की बातें कहते हैं और नंदी भगवान शिव को आपकी मनोकमना पूर्ण करने के लिए कहते हैं. शिव मंदिर में शिव परिवार के साथ उनके वाहन के भी दर्शन होते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा हैं कि शिव मंदिर में विराजित यह मूर्तियां जीवन की नजर से क्या संदेश देती हैं? जानने के लिए पढ़ें ये पूरा लेख…
पंडित राजेन्द्र तिवारी ने टीवी9 हिंदी डिजिटल से बात करते हुए बताया कि शिव मंदिर में नंदी की विशेष महत्व है और उनका मुंह शिवलिंग की ओर होता है. नंदी का संदेश है कि जिस तरह वह भगवान शिव का वाहन है. ठीक उसी तरह हमारा शरीर आत्मा का वाहन है. जैसे नंदी की नजर शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी नजर भी आत्मा की ओर होती है.
ये हैं पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने ऋषि शिलाद की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न का वरदान दिया था. ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने. भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से खुश होकर हर शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था. यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसा मान्यता है कि जब नंदी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए. तब से ही हर शिव मंदिर के सामने नंदी की प्रतिमा देखने को मिलती है.
पंडित राजेन्द्र तिवारी ने टीवी9 हिंदी डिजिटल से बात करते हुए बताया कि शिव मंदिर में नंदी की विशेष महत्व है और उनका मुंह शिवलिंग की ओर होता है. नंदी का संदेश है कि जिस तरह वह भगवान शिव का वाहन है. ठीक उसी तरह हमारा शरीर आत्मा का वाहन है. जैसे नंदी की नजर शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी नजर भी आत्मा की ओर होती है.
ये हैं पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने ऋषि शिलाद की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न का वरदान दिया था. ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने. भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से खुश होकर हर शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था. यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसा मान्यता है कि जब नंदी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए. तब से ही हर शिव मंदिर के सामने नंदी की प्रतिमा देखने को मिलती है.
शिव मंदिर के सामने नंदी का होना इशारा देता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर व्यक्ति, चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है. इसे ही आम भाषा में मन का साफ होना कहते हैं. इससे शरीर भी स्वस्थ होता है और शरीर के सेहतमंद रहने पर ही मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है. इस प्रकार संतुलित शरीर लक्ष्य में सफलता के करीब ले जाता है. इस तरह अब जब भी मंदिर में जाएं शिव के साथ नंदी की पूजा कर शिव के कल्याण भाव को मन में रखकर वापस आएं. इससे लोगों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं.