विदिशा। पर्यावरण को लेकर आज भी हम जागरूक नहीं हो पाए और धर्मनगरी अयोध्या का एक युवा आशुतोष पांडे अपनी 11 लाख रुपए सालाना वेतन वाली नौकरी छोड़कर सिर्फ पर्यावरण की अलख जगाने 16 हजार किमी की पदयात्रा पर निकल पड़ा है। इस पदयात्रा को उन्होंने वंदे भारत नाम दिया है।
मंगलवार को यह युवा करीब 11 हजार किमी की पदयात्रा कर विदिशा पहुंचा और कलेक्टर उमाशंकर भार्गव से मुलाकात कर अपने मिशन की जानकारी दी। आज वह शहर में पौधारोपण कर अपने अभियान में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री का साथ पाने के लिए छतरपुर रवाना होगा।
कहने को तो उनकी उम्र महज 25 वर्ष है, परंतु हौसला और हिम्मत पहाड़ जैसी। आशुतोष। 22 दिसबंर 2022 को पर्यावरण संरक्षण के लिए पैदल ही भारत यात्रा पर निकल पड़े। उत्तर प्रदेश से चलकर वे बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र समेत 13 राज्यों से होते हुए विदिशा पहुंचे हैं।
अब तक आशुतोष 21 राज्य, 75 जिले, 1700 गांवों से लोगों को जागरूक करते हुए जा रहे हैं। आशुतोष के मन में प्रकृति संरक्षण का संदेश देने का यह विचार कहां से आया? यह पूछने पर वे कहते हैं- कोरोना काल में आक्सीजन की पूर्ति न होने से मेरे एक प्रिय मित्र की मृत्यु हो गई थी। उस क्षण लगा कि यदि आक्सीजन नहीं, प्रकृति नहीं, पर्यावरण नहीं है तो फिर हम सबका जीवन क्षणभंगुर है।
यही विचार मन को मथता रहा और एक दिन ऐसा भी आया जब करीब 11 लाख रुपये सालाना की नौकरी छोड़कर पर्यावरण बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रण लिया और पैदल भारत यात्रा शुरू कर दी।
आशुतोष ‘सेव द इन्वायरमेंट’ लिखा बोर्ड लेकर अपने बैग में तिरंगा लगाए लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं। बोर्ड में पैदल 16,000 किमी चलने का लक्ष्य भी लिखा है। आशुतोष प्रतिदिन करीब 30 किमी चलते हैं। मध्य प्रदेश के बाद वे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश होते हुए अयोध्या पहुंचेंगे।
आशुतोष ने बताया कि जब नौकरी छोड़कर पैदल भारत यात्रा की ठानी, तो परिवार के लोग सन्न रह गए। पहले सबने विरोध किया और चिंता जताई। कुछ रिश्तेदार तो मुझे मानसिक रूप से विचलित बताकर डाक्टर को दिखाने तक की बातें करने लगे थे। किंतु मैं अपने संकल्प से डिगा नहीं। परिवार ने जब मेरा जुनून देखा तो मेरा यह संकल्प पूरा करने में साथ दिया।
आशुतोष ने बताया कि आए दिन आए शोध बताते हैं कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली में रहने वालों की उम्र कम होती जा रही है। फिर भी हम नहीं सुधर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं। इसके लिए हम सब भारतवासियों, खासकर युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। अगर कुछ वर्षों तक हमने और लापरवाही की, तो जलवायु परिवर्तन से मनुष्यों का ही नहीं बल्कि प्रत्येक प्राणी का बहुत नुकसान होगा। यह अभी नहीं जागे तो फिर कभी नहीं वाली स्थिति है।
आशुतोष ने पैदल भारत यात्रा का अंतिम पड़ाव श्रीराम की नगरी अयोध्या को रखा है। वे दो वर्ष बाद अर्थात जनवरी 2026 में अयोध्या पहुंचने का लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं। तब अयोध्या में एक लाख पौधों का रोपण किया जाएगा, जिसे श्रीराम वाटिका नाम दिया जाएगा। आशुतोष बाद में अपनी टीम के साथ उस वाटिका का संरक्षण भी करेंगे।