मुंबई ने रणजी ट्रॉफी का खिताब एक बार फिर से जीत लिया है. उसने फाइनल में विदर्भ को 169 रन से हराते हुए ये सफलता हासिल की. मुंबई ने विदर्भ के सामने 538 रन का पहाड़ जैसा लक्ष्य रखा था, जिसे हासिल कर पाने विदर्भ की टीम नाकाम रही. इसी के साथ रणजी इतिहास की इस सबसे सफल टीम ने अपने कैबिनेट में एक और ट्रॉफी जोड़ ली है. ये मुंबई की टीम का 42वां रणजी ट्रॉफी खिताब है.
मुंबई ने विदर्भ को हराकर रणजी ट्रॉफी की पिच पर खिताब के लिए चले आ रहे अपने 9 साल के इंतजार को भी खत्म किया. उसने आखिरी बार ये खिताब 2015-16 में जीता था. बात अगर विदर्भ की करें तो ये तीसरी बार था जब वो रणजी ट्रॉफी का फाइनल खेल रहा था. इससे पहले खेले दोनों फाइनल उसने जीते थे. लेकिन इस बार वो चैंपियन नहीं बन सका और ट्रॉफी मुंबई की हो गई.
रणजी ट्रॉफी के फाइनल में मुंबई से मिले बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए विदर्भ की टीम अपनी दूसरी पारी में 368 रन ही बना सकी और जीत के लक्ष्य से 169 रन दूर रह गई. मुंबई की ओर से दूसरी पारी में सबसे ज्यादा 4 विकेट तनुश कोटियान ने लिए. विदर्भ के लिए ए. वाडकर ने शतक जमाया. इनके अलावा करुण नायर और हर्ष दुबे ने अर्धशतक लगाया, पर वो टीम को जीत दिलाने को काफी नहीं रहे.
इससे पहले मुंबई के लिए दूसरी पारी में मुशीर खान ने शतक, खराब फॉर्म से वापसी करते हुए अजिंक्य रहाणे ने 73 रन और श्रेयस अय्यर ने 95 रन बनाए. इनके अलावा शम्स मुलानी ने भी अर्धशतक लगाया. नतीजा ये हुआ कि मुंबई ने 418 रन बना दिए.
इससे पहले मुंबई ने अपनी पहली पारी में 224 रन बनाए थे. जवाब में विदर्भ की टीम का हाल और भी बुरा हुआ और वो अपनी पहली पारी में सिर्फ 105 रन ही बना सकी थी, जिसका खामियाजा उसे मैच में आगे भुगतना पड़ा.