मजहब-ए-इस्लाम के पाक माहे रमजान में जयपुर का रवींद्र मंच गंगा-जमुनी तहजीब का संगम बना हुआ है. यहां हीरक जयंती के मौके पर चल रहे रंग उत्सव में पवित्र कुरान मजीद प्रदर्शनी के लिए लाई गई है. दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा कुरान शरीफ है. इस पाक किताब को देखने के लिए राजस्थान की डिप्टी सीएम भी पहुंची हैं.
ये कुरान मजीद राजस्थान के टोंक जिले में साल 2012 में बनना शुरू हुई और दो सालों में जाकर तैयार की गई. ढाई क्विंटल वजनी और साढ़े दस फ़ीट की ये कुरान शरीफ जल्द ही गिनीज वर्ल्ड बुक के रिकॉर्ड में शामिल हो सकती है. इस पवित्र किताब को देखने के लिए लोगों की भीड़ रवींद्र मंच पर उमड़ रही है.
2 लोग मिलकर पलटते हैं पन्ने
रंग उत्सव में लाई गई कुरान मजीद के एक पन्ने को पलटने में दो से तीन लोगों को जुटना पड़ता है. दरअसल, ये कोई आम कुरान शरीफ नहीं बल्कि इसे दुनिया की सबसे बड़ी कुरान शरीफ बताई जा रही है. इसका वजन ढाई क्विंटल है. कुरान मजीद की लंबाई 125 इंच और चौड़ाई 90 इंच है. ये करीब 10.5 फीट ऊंची और खोलने के बाद ये 17 फीट लंबी है.
चांदी के कोने और गोल्डन प्लेट का हुआ इस्तेमाल
इस कुरान मजीद की खासियत के बारे में मौलाना जमील अहमद ने बताया कि इस पाक कुरान की हर लाइन अरबी के अलिफ अक्षर यानि लफ्ज से शुरू होती है, इसलिए इसे अल्फ़ी कुरआने करीम भी कहते हैं. इस कुरान शरीफ के हर पेज में 41 लाइनें हैं. जिल्द पर चांदी के कोने और गोल्डन प्लेट लगी हुई है. खोलने और बंद करने के लिए पीतल के कब्जों का इस्तेमाल किया गया है. कुरान शरीफ के एक पेज को पलटने में या खोलने में 2 शख्स को लगना पड़ता है. इसकी जिल्द खोलने के लिए 6 लोगों की जरूरत होती है.
कंप्यूटर नहीं, हाथ से बनाया गया डिजाइन
मौलाना जमील अहमद का दावा है कि यह हाथ से लिखी हुई दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान मजीद है. इसका डिजाइन भी कम्प्यूटर से नहीं, बल्कि हाथ से बनाया गया है. कागज भी हैंडमेड हैं, जो सांगानेर में बने हैं. इसे लिखने वाले टोंक के ही गुलाम अहमद हैं. इस कुरान मजीद को तैयार करने में मौलाना जमील की बेटियों ने अपने भाइयों, चाचा के साथ मिलकर लिखा और सजाया है.