उज्जैन। दो साल गुजर गए। लोकसभा चुनाव भी करीब आ गए, मगर विक्रम विश्वविद्यालय है कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने को कदम ही नहीं उठा रहा। महीनेभर पहले विक्रम विश्वविद्यालय ने परीक्षा एमपी आनलाइन के माध्यम से कराने का निर्णय लिया था, जिसके पालन में अब तक आवेदन जमा करने को अधिसूचना तक जारी नहीं की गई है।
मालूम हो कि महीनेभर पहले कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने ‘नईदुनिया’ से कहा था कि 30 विभिन्न विषयों की लगभग 400 रिक्त सीटों के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा 30 मार्च के आसपास होगी। एमपी आनलाइन से परीक्षा की तारीख मिलने पर आवेदन फार्म भरने को अधिसूचना जारी की जाएगी। बैठक में एमपी आनलाइन के प्रभारी अधिकारी अभय करण ने पीपीटी के माध्यम से आनलाइन परीक्षा कराने की प्रक्रिया बताई।
विक्रम विश्वविद्यालय की पिछली पीएचडी प्रवेश परीक्षा 6 मार्च 2022 को 422 सीटों पर प्रवेश के लिए हुई थी। परीक्षा ओएमआर शीट पर ली गई थी। मूल्यांकन मशीन की बजाय मैनुअली कराया था। परिणाम घोषित होने के कुछ सप्ताह बाद इंजीनियरिंग विषय की परीक्षा में उत्तीर्ण 12 विद्यार्थियों की ओएमआर आंसर शीट मीडिया तक पहुंचाई गई थीं। इन ओएमआर आंसर शीट में काट-छांट थी, इसमें अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण दर्शाया गया था।
मामला उजागर होने पर कांग्रेस एवं एनएसयूआइ के नेताओं ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया। उज्जैन लोकायुक्त पुलिस को शिकायत की। शिकायत पर जांच उपरांत लोकायुक्त पुलिस ने 21 जून 2023 को विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक, सहायक कुलसचिव वीरेन्द्र उचवारे, प्रोफेसर गणपत सिंह अहिरवार, पीके वर्मा और वायएस ठाकुर के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करने जैसी धाराओं में प्रकरण दर्ज किया।
बाद में लोकायुक्त ने आरोपितों की संख्या तीन से बढ़ाकर आठ की। परीक्षा उत्तीर्ण किए गौरव कुमार शर्मा, अमित मरमट और अंशुमा पटेल के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की। पूरे मामले में एक विद्यार्थी (गौरव कुमार शर्मा) का रोल नंबर 220881 हटाकर फर्जी रोल नंबर 220841 प्रस्ताव में जोड़ दिया गया था। वहीं, प्रस्ताव में एक रोल नंबर (220042) भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी की पत्नी शिल्पा जोशी का भी था, जिसे गोपनीय बनाए रखने में विश्वविद्यालय ने हर संभव कोशिश की मगर नाम सामने आ ही गया।
इसी दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव बदले। लोकायुक्त ने विश्वविद्यालय से केस की विभागीय जांच रिपोर्ट तलब की। दो बार कुलपति, कुलसचिव को भोपाल तलब किया। वे गए भी मगर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। प्रकरण अब भी लोकायुक्त में प्रचलन में है। कोर्ट में चालान प्रस्तुत अब तक न हो सका है।