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भाजपा का 400 पार का प्लान… कमजोर कड़ी से दूरी-पावरफुल पर फोकस

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लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. सभी पार्टियां प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने के साथ ही रूठे दलों को मनाने और पुराने सहयोगियों को फिर से साथ लाकर कुनबा बढ़ाने की कोशिशों में जुटी हुई हैं. केंद्र की सत्ता में काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का नेतृत्व कर रही बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आने का दावा कर रही है. इसके साथ ही पार्टी ने ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा भी दे दिया है. बीजेपी इस नारे को चुनाव नतीजे में तब्दील करने के लिए पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक समीकरण सेट करने में जुटी हुई है.

बीजेपी अपना कुनबा बढ़ाने के साथ ही उन दलों पर फोकस कर रही है जिनका वोट बैंक सॉलिड हो और नाज नखरा कम. इस क्रम में पार्टी ने जेजीपी, एलजेपी (पारस), एआईएडीएमके जैसे पुराने साथियों से किनारा किया है तो वहीं चिराग पासवान और नवीन पटनायक जैसे नेताओं से दोस्ती का हाथ भी बढ़ाया है. यही नहीं बीजेडी और अकाली जैसे पुराने साथियों को फिर से एनडीए से जोड़ने की कवायद भी तेज कर दी गई है. आइए राज्यवार जानते हैं कि कैसे और किस पार्टी को कहां-कहां एनडीए में जोड़ा गया है.

तमिलनाडु में तीसरे मोर्चे की तैयारी

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तमिलनाडु में PMK से पहले BJP तामिल मनीला कांग्रेस मूपनार और दिनाकरण की AMMK के साथ गठबंधन कर चुकी है. एक्टर शरतकुमार ने अपनी पार्टी का BJP में विलय कर दिया है. इससे साफ है कि BJP, DMK और AIADMK के दो ध्रुवों में केंद्रित तमिलनाडु की राजनीति में तीसरा ध्रुव बनने की कोशिश में है. PMK को साथ लेकर वह तमिलनाडु में तीसरे मोर्चे का गठन करना चाहती है.

लिंगायत और वोकालिग्गा समुदाय पर फोकस

आंध्र प्रदेश में टीडीपी और जनसेना के साथ गठबंधन कर बीजेपी ने सूबे में एंटी जगन वोट बैंक को कंसोलिडेट करने की कोशिश की है. केरल में एनडीए कुनबे में भारत धर्म जनसेना, केरला कामराज कांग्रेस जैसे छोटे-छोटे स्थानीय पार्टियों के साथ एलायंस बनाया, जिनकी अपने-अपने कुनबे में खास पकड़ है.

कर्नाटक में जेडीएस को तीन सीट देकर बीजेपी ने सूबे की राजनीति में लिंगायत और वोकालिग्गा समुदाय को एक साथ साधने की कोशिश की है. एक तरफ लिंगायतों में पकड़ मजबूत करने किए बीवाई विजेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष और जगदीश सेट्टर की वापसी की है तो देवेगौड़ा की पार्टी से गठबंधन कर वोकालिग्गा समुदाय को साधा है.

बिहार में छोटी-छोटी जातियों को साधने की कोशिश

बीजेपी ने बिहार में जेडीयू के अलावा एलजेपी(आर), हम और आरएलएम जैसे छोटे दलों को अपने साथ इकट्ठा कर राज्य के छोटी-छोटी जातियों खासकर कुर्मी, कोयरी, मुशहर और पासी जातियों को एनडीए खेमे में लाने का काम किया है. लेकिन पशुपति पारस के घटते जनाधार और पासी समुदाय में कमजोर पकड़ की सूरत में बीजेपी ने चाचा पारस की जगह भतीजे चिराग को तरजीह दी है.

वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अपना दल, आरएलडी, सुभाषपा और निषाद पार्टी को एनडीए खेमे में जोड़कर राज्य की राजनीति में कुर्मी, जाट, राजभर, निषाद जैसे वोटरों के जातीय समीकरण को मजबूती से साधा है.

एनडीए को जमीनी स्तर पर करेंगे मजबूत

बीजेपी ने महाराष्ट्र में आरपीआई (आठवले), एनसीपी (अजीत), शिवसेना (शिंदे), मनसे जैसे दलों को साथ जोड़कर सूबे की राजनीति में बीजेपी की कमजोर पकड़ वाले मराठा, दलित और शिवसैनिकों को एनडीए फोल्ड से जोड़ा है. बात अगर नॉर्थ ईस्ट राज्यों की जाए तो असम में असम गण परिषद और यूपीपीएल को एनडीए में जोड़ा गया है.

वहीं नागालैंड में एनडीपीपी के साथ गठबंधन कर बीजेपी ने सूबे में एनडीए को जमीनी स्तर पर मजबूत किया है. सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, मेघालय की एनपीपी और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, त्रिपुरा में टिपरा मोथा के साथ गठबंधन कर स्थानीय एस्पिरेशन को संतुष्ट किया गया है.

बीजेपी ने बनाया मजबूत प्लान

बीजेपी ने एक तरफ जहां अलग-अलग राज्यों में छोटी-छोटी स्थानीय और मजबूत जातियों में पकड़ वाली विभिन्न पार्टियों को जोड़ने की कोशिश की है तो वहीं अपनी बात मनवाने के लिए दबाव डालते रहने वाले और जमीन पर कमजोर हो चुके दलों से बीजेपी ने किनारा भी किया है. बीजेपी ने हरियाणा में जेजेपी, तमिलनाडु में एआईएडीएमके को एनडीए फोल्ड से दूर भी किया है.

पंजाब में अकाली दल भी इसी श्रेणी की पार्टी है जिसको एनडीए से अलग किया गया हालांकि बदली परिस्थितियों में राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए अकाली से दोबारा बातचीत की जा रही है लेकिन बीजेपी के शर्तों पर.

ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजेडी को एनडीए फोल्ड में दुबारा वापसी की कोशिश जारी है. 2009 में गठबंधन से अलग हुए बीजेडी को एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बनाने की कोशिश बीजेपी कर रही है लेकिन बदली परिस्थितियों में बीजेडी को बीजेपी की शर्तों पर एनडीए में लाने की कोशिश हो रही है.

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