कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अपनी पार्टी की वापसी की उम्मीद जताते हुए कहा है कि देश का सबसे पुराना दल एक ऐसी ‘स्थापित कंपनी’ की तरह है जिसके ‘मार्केट कैप’ में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। उन्होंने भाजपा को एक ‘स्टार्टअप’ करार दिया। रमेश ने संपादकों एवं पत्रकारों के साथ बातचीत में इस बात पर भी जोर दिया कि चुनावी सफलता के लिए संगठनात्मक शक्ति का होना जरूरी है। साथ ही, उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘करिश्माई नेतृत्व’ भारतीय जनता पार्टी की सफलता का कारण है।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा कि ‘करिश्माई नेता’ की धारणा पर विश्वास करना एक ‘‘खतरनाक अवधारणा” है क्योंकि ऐसा करना ‘डेमागॉग’ में विश्वास करना है। ‘डेमागॉग’ एक ऐसे नेता को कहते हैं जो तर्कसंगत बातों के बजाय आम लोगों की इच्छाओं और पूर्वाग्रहों के जरिये अपने लिए समर्थन चाहता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव और नए चेहरों की जरूरत है। रमेश ने कहा कि कांग्रेस में यह मुश्किल है क्योंकि लोग लंबे समय से पार्टी में हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भाजपा के लिए यह आसान है क्योंकि आप जानते हैं कि भाजपा कई राज्यों में एक ‘स्टार्टअप’ है। आप भाजपा को एक स्टार्टअप के रूप में देखते हैं, कांग्रेस एक स्टार्टअप नहीं है, कांग्रेस एक अच्छी तरह से स्थापित कंपनी है जिसके ‘मार्केट कैप’ में उतार-चढ़ाव होता रहता है।”
रमेश के अनुसार, एक ‘स्टार्टअप’ बहुत सारे लोगों को समाहित करने में सक्षम है, ऐसे में जिस व्यक्ति को कांग्रेस में टिकट नहीं मिलता, वह भाजपा में शामिल हो जाता है इसलिए कई राज्यों में कांग्रेस का नुकसान यह है कि वह दशकों से मौजूद है। उन्होंने कहा कि किसी स्थान पर जमे रहने का एक नुकसान यह है कि आप नए लोगों को आने का मौका नहीं दे पाते। कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘लेकिन, यह धीरे-धीरे हो रहा है, यह कुछ राज्यों में हो रहा है। यह निश्चित रूप से तेजी से होना चाहिए।” केंद्रीय नेतृत्व के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका निर्वाचित अध्यक्ष है। उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यक्तियों को बहुत अधिक महत्व देते हैं… यदि आप रजनी कोठारी द्वारा भारतीय राजनीति पर लिखित पुस्तक पढ़ेंगे तो उसमें जो बात कही गई है, वह यह है कि कांग्रेस की एक प्रणाली होती थी और वह प्रणाली पहली बार 1969 में टूट गई थी। पार्टी में पहले विभाजन के साथ और फिर 1978 में दूसरे विभाजन के साथ यह टूट गया।”
रमेश ने कहा, ‘‘आपके पास शीर्ष पर करिश्माई नेतृत्व हो सकता है, लेकिन अगर जिला स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर और राज्य स्तर पर आपके पास मध्यस्थता, कलह को संभालने और लोगों को एकसाथ लाने की व्यवस्था नहीं है तो कोई भी व्यक्ति फर्क नहीं डालने वाला है।” कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘‘मैं करिश्माई नेता वाली धारणा में बहुत विश्वास नहीं रखता…इस पर विश्वास करना एक बहुत ही खतरनाक अवधारणा है, इसीलिए मैं इसमें विश्वास नहीं करता हूं। अगर मैं किसी करिश्माई नेता पर विश्वास करना शुरू कर दूं तो मैं स्वत: एक ‘डेमागॉग’ में विश्वास करने लगता हूं, फिर मैं मुसोलिनी (इतालवी तानाशाह) में विश्वास करने लगता हूं।” रमेश ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि देश के लगभग 40 प्रतिशत लोग ‘करिश्माई नेता’ की अवधारणा में विश्वास करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके विश्लेषण के अनुसार, भाजपा के 36 प्रतिशत वोट शेयर में से कम से कम 22-23 प्रतिशत संगठन के कारण है।
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि मोदी ने कुछ प्रतिशत वोट जोड़े हों। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी का ‘‘करिश्मा और भाषण कला” भाजपा को अलग बना रही है, रमेश ने कहा, ‘‘नहीं। मुझे लगता है कि यह संगठन ही है जो बहुत बड़ा अंतर पैदा करता है। आपके पास वह सारा करिश्मा हो सकता है जो आप चाहते हैं, लेकिन अगर आप मतदान के दिन उस करिश्मे का उपयोग नहीं कर पाएंगे, तो करिश्मे का कोई फायदा नहीं होगा।” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें करिश्मे के पीछे नहीं जाना चाहिए, हमें सिस्टम (प्रणाली) के पीछे जाना चाहिए।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि अरविंद केजरीवाल के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं को निशाना बनाया जाएगा…आज हम जिस प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहे हैं वह किसी नियम, किसी परंपरा, किसी परिपाटी का पालन नहीं करता है और निष्ठुर है।” यह पूछे जाने पर कि लोकसभा में कांग्रेस को कितनी सीट मिलेंगी, तो रमेश ने कहा कि जिस पार्टी को 2003 में खारिज कर दिया गया था, वह पांच महीने बाद सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह के सवाल 2004 में भी उठाए गए थे। इसलिए, मैं इस संभावना को खारिज नहीं करूंगा कि आपको कोई बड़ा आश्चर्य देखने को मिल सकता है।”