शेयर बाजार में शुक्रवार को बड़ी गिरावट देखने को मिली. बांबे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 793 अंक टूटकर बंद हुआ, जबकि निफ्टी में भी लगभग 1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. जनकारों के अनुसार विदेशी निवेशकों की ओर से ब्लूचिप कंपनियों से बिकवाली की गई है. खबर है कि मॉरीशस से निवेश करने वालों को अब अधिक जांच का सामना करना पड़ सकता है. बिकवाली से स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स काफी दूर रहे.
शुक्रवार को निफ्टी कंपनियों जैसे सन फार्मा लगभग 4 फीसदी गिर गया, जबकि मारुति सुजुकी, टाइटन, सिप्ला, जेएसडब्ल्यू स्टील, पॉवर ग्रिड और ओएनजीसी लगभग 2 से 3 फीसदी नीचे गिरकर बंद हुए. निफ्टी फार्मा में लगभग 1.7 फीसदी की गिरावट के साथ फार्मा शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट रही. सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान पर बंद हुए. निफ्टी बैंक, जिसने पहली बार 49,000 का आंकड़ा छुआ था, भी लगभग 0.86 फीसदी कमजोर होकर बंद हुआ.
इस बिकवाली की वजह से शेयर बाजार निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ और बीएसई का मार्केट कैप 400 लाख करोड़ रुपए के नीचे आ गए. निवेशकों को आज के 2.51 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है. बीएसई का मार्केट कैप 399.68 लाख करोड़ रुपए पर दिखाई दे रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि वो कौन से कारण है जिसकी वजह से शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली है.
विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली
इस समय विदेशी निवेशकों के लिए सबसे बड़ी चिंता भारत-मॉरीशस टैक्स एग्रीमेंट में रिविजन के लिए एक प्रोटोकॉल का लागू होना हो सकता है जिसके बाद एफपीआई को अधिक जांच का सामना करना पड़ सकता है. मॉरीशस भारत में एफडीआई का चौथा सबसे बड़ा सोर्स है और देश में कुल एफपीआई असेट्स का लगभग 6 फीसदी हिस्सा है.
अमेरिकी महंगाई
अमेरिका में अपेक्षा से अधिक महंगाई के आंकड़ों ने ने उन उम्मीदों को कम किया है, जिसकी वजह से फेडरल रिजर्व जून की शुरुआत में ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा. वॉल स्ट्रीट व्यापारियों को अब उम्मीद है कि जून में फेड द्वारा दरों में कटौती की संभावना 23 फीसदी है, जो एक सप्ताह पहले लगभग 62 फीसदी थी.
बॉन्ड यील्ड में इजाफा
उम्मीद से ज्यादा अमेरिकी महंगाई होने के कारण अमेरिकी बांड यील्ड को बढ़ा दिया है. दो साल की अमेरिकी यील्ड, नवंबर के बाद पहली बार 5 फीसदी से ऊपर हो गई. 10 साल की यील्ड पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. ज्यादा यील्ड एफपीआई फ्लो के लिए पॉजिटिव नहीं है, लेकिन जानकारों का सुझाव है कि डॉमेस्टिक लिक्विडिटी अधिक रहने के कारण गिरावट पर खरीदारी की जा सकती है.
वैल्यूएशन स्ट्रेस
भारत पर लॉन्गटर्म सिनेरियो तेजी का बना हुआ है. इस फैक्ट को देखते कि मार्केट अब तक के उच्चतम स्तर पर है, इंवेस्टर वैल्यूएशन पर काफी सतर्क हो गए हैं. पेस 360 के अमित गोयल ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि वैल्यूएशन बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण, हम निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि जब तक बाजार में बड़ा करेक्शन ना आ जााए तब तक निवेश ना करें.
निवेशकों की ओर से प्रॉफिट बुकिंग
तेजी के इस दौर में निवेशक भी मुनाफावसूली कर रहे हैं और पोर्टफोलियो में बदलाव कर रहे हैं. बाजार का ध्यान मार्च तिमाही की आय पर रहेगा जो आज से टीसीएस के साथ शुरू हो चुका है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर मीडिया रिपोर्ट में कहा कि भारत में इनकम ग्रोथ में कमी के संकेत दिख रहे हैं, अप्रैल और दिसंबर 2023 के बीच अनुभव की गई मजबूत 25 फीसदी की तुलना में Q4 में ईपीएस ग्रोथ 5-10 फीसदी तक होने की उम्मीद है.
कच्चे तेल के दाम में इजाफा
सोना, चांदी, जस्ता, तांबा, कोको और कॉफी जैसी विभिन्न वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं. सैमको सिक्योरिटीज के अपूर्व शेठ ने मीडिया रिपोर्ट में कहा बढ़ती वस्तुओं का मतलब है बढ़ती महंगाई. यदि महंगाई बढ़ती है तो केंद्रीय बैंकों के पास ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. कच्चे तेल की कीमतों में जिस तरह से तेजी देखने को मिल रही है. उसका मतलब है कि आने वाले दिनों में इंटरनेशनल मार्केट को ज्यादा महंगाई से जूझना होगा.