रायबरेली से लेकर अमेठी तक चर्चा है कि 26 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने का ऐलान कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो कैसा रहेगा चुनाव? बीजेपी ने अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टिकट दिया है जबकि रायबरेली में अभी बीजेपी का उम्मीदवार भी फाइनल नहीं हैं. अब तक रायबरेली से चुनाव लड़ और जीत रहीं सोनिया गांधी राज्यसभा पहुंच चुकी हैं. ऐसे में उनके बाद अब इस सीट से चुनाव कौन लड़ेगा? परिवार से प्रियंका गांधी या फिर पार्टी का कोई और नेता.
इसके जवाब में यूपी के कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने हाल में कहा राजनीति भी रणनीति है. तो क्या ये 26 अप्रैल वाली कहानी भी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है. दरअसल, रायबरेली दशकों तक ये कांग्रेस और गांधी नेहरू परिवार का गढ़ रहा. अमेठी में कांग्रेस ऑफिस में सन्नाटा पसरा है. राहुल बिना सब सूना का बैनर बस लगा है. कांग्रेस ऑफिस देख कर लग ही नहीं रहा है कि महीने भर बाद यहां चुनाव है.
दोनों भाई बहन ड्राइविंग सीट पर
बता दें कि जब पहली बार राहुल गांधी अमेठी में चुनाव लड़ने आए थे. तब प्रियंका गांधी आगे चल रही थीं और राहुल पीछे. ये बात 2004 की है. फिर जब 2014 में जीतने के बाद राहुल अमेठी आए तब राहुल आगे चल रहे थे और प्रियंका पीछे. कहा गया कि अब राहुल ड्राइविंग सीट पर हैं. आज की तारीख में वैसे दोनों भाई बहन ड्राइविंग सीट पर हैं. अब ये संयोग है या फिर प्रयोग कि दोनों के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है.
चुनाव हारने के बाद राहुल ने छोड़ दिया अमेठी का मोह!
दरअसल, दो महीने पहले ही राहुल गांधी न्याय यात्रा लेकर अमेठी आए थे. पर माहौल कुछ खास नहीं बन पाया था. अमेठी के लोग इंतजार ही करते रहे कि राहुल उनके लिए दिल को छूने वाले दो शब्द कहेंगे जबकि वे यहां से पंद्रह सालों तक सांसद रहे. दरअसल, पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही राहुल गांधी ने अमेठी का मोह छोड़ दिया है. पिछले पांच सालों में वे सिर्फ तीन बार यहां आए. उन्होंने अमेठी को यहां के लोकल नेताओं के भरोसे छोड़ दिया है.
राजनीति में टाइमिंग-मैसेज पलट देते हैं बाजी
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अपनों को एक टास्क दिया है. विपक्ष के लोगों को बीजेपी में शामिल कराने का. हर दिन अमेठी के कुछ कांग्रेस नेता बीजेपी में जा रहे हैं. सब ये मान कर चल रहे हैं कि अमेठी में कांग्रेस की कहानी का द एंड हो चुका है. इस राजनैतिक कहानी के दूसरे छोर पर हैं राहुल गांधी. जिनका न तो अपना कोई घर है अमेठी में और न ही वे यहां के वोटर हैं. राजनीति में टाइमिंग और मैसेज पूरी बाजी पलट देते हैं. इस मामले में स्मृति ईरानी उनसे हर लिहाज में भारी पड़ रही हैं. 2014 में चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने अमेठी को हमेशा अपना घर माना और यहां के वोटरों को अपना परिवार. अब राहुल की इसी कमजोरी को उन्होंने अपना इमोशनल दांव बना लिया है.
एक गलत फैसला पार्टी को डुबो सकती
अमेठी लोकसभा में विधानसभा की पांच सीटें हैं. दो सीटें पर समाजवादी पार्टी जीत गई और बाकी तीन पर बीजेपी का कब्जा रहा. हाल में हुए राज्य सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के दोनों विधायकों ने बीजेपी की मदद की. पिछले कई चुनावों से समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करती रही है. अखिलेश यादव ने कांग्रेस से कहा कि अगर राहुल और प्रियंका में से कोई चुनाव नहीं लड़े तो फिर बड़ा गलत मैसेज जाएगा. यूपी में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. एक गलत फैसला पार्टी को डुबो सकती है. अब ये राहुल और प्रियंका को तय करना है. उनका रास्ता कांग्रेस को बचाने का है या फिर पार्टी के भाग्य भरोसे छोड़ देने का है.