रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी है, लेकिन प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ रही हैं. कांग्रेस के टिकट घोषित होने से पहले तक प्रियंका गांधी के लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेजी से चल रही थी, लेकिन रायबरेली से राहुल और अमेठी से केएल शर्मा के नाम पर मुहर लगने के साथ ही सारे कयासों पर विराम लग गया. प्रियंका गांधी भले ही चुनाव न लड़ रही हो, लेकिन राहुल गांधी वायनाड सीट के बाद रायबरेली सीट से उतरकर बहन के लिए सियासी पिच तो नहीं तैयार कर रहे हैं?
उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है. गांधी परिवार का रिश्ता काफी पहले से इन दोनों सीटों से जुड़ गया था. 2004 से राहुल गांधी अमेठी से और सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ रही थी. 20 साल के बाद ऐसा पहली बार है, जब अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं उतरा है. राहुल गांधी अमेठी की जगह रायबरेली सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे में अब सबकी निगाहें प्रियंका गांधी पर है.
रायबरेली कांग्रेस की परंपरागत सीट
राहुल गांधी वायनाड के साथ-साथ अब रायबरेली सीट से भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. राहुल ने वायनाड के जरिए साउथ की सियासत को साधने का दांव चला है तो रायबरेली से उतरकर उत्तर भारत के लिए सियासी संदेश देने की कोशिश की है. वायनाड सीट से राहुल गांधी की राह आसान मानी जा रही है जबकि रायबरेली सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. मोदी लहर में भी कांग्रेस 2014 और 2019 में जीतने में कामयाब रही है. इस बार कांग्रेस और सपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरी है और क्षेत्रीय समीकरण के लिहाज से राहुल गांधी के लिए सियासी राह आसान साबित हो सकती है.
रायबरेली से चुनाव लड़ने के पीछे रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अगर वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों से जीतने में कामयाब रहते हैं, तो उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना होगा. अमेठी के बजाय रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने के पीछे रणनीति यह भी है कि राहुल गांधी को दोनों ही सीटों से जीतने की स्थिति में एक सीट से इस्तीफा देना होगा. राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के बाद दोनों सीटों से जीतने में सफल रहे तो रायबरेली या वायनाड सीट छोड़ते हैं तो फिर वहां से वैकल्पिक उम्मीदवार के रूप में प्रियंका गांधी उपलब्ध रहेंगी.
बहन के लिए तैयार कर रहे सियासी पिच
राहुल गांधी जिस तरह वायनाड सीट किसी भी सूरत में नहीं छोड़ना चाहते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस स्थिति में राहुल गांधी को रायबरेली सीट छोड़नी पड़ सकती है. हालांकि, राहुल गांधी को पहले दोनों सीट पर अपनी जीत तय करने के लिए मशक्कत करनी होगी. इसके बाद वायनाड और रायबरेली में किसी एक सीट से इस्तीफा देना होगा, जिसके बाद प्रियंका गांधी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा सकती है. इसके पीछे वजह यह है कि अभी प्रियंका गांधी चुनाव लड़कर बीजेपी को परिवारवाद का मौका नहीं देना चाहती है, क्योंकि राहुल गांधी चुनाव लड़ ही रहे हैं और सोनिया गांधी राज्यसभा सदस्य हैं. माना जा रहा है कि सोनिया का यह आखिरी कार्यकाल है. इसके बाद हो सकता है कि वो संसदीय राजनीति से दूर हो जाएं.
प्रियंका गांधी के लिए राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड से लड़कर सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं, क्योंकि उनके इस्तीफा देने के बाद प्रियंका गांधी के उतरने की चर्चा अभी से शुरू हो गई है. इसके लिए रायबरेली लोकसभा सीट प्रियंका गांधी के लिए ज्यादा मुफीद मानी जा रही है. इसके पीछे वजह यह है कि रायबरेली सीट के साथ मोतीलाल नेहरू से लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी से नाता जुड़ा हुआ है.
नेहरू-गांधी परिवार का रायबरेली से नाता
आजादी से पूर्व किसान आंदोलन के दौरान 7 जनवरी 1921 को मोतीलाल नेहरू ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू को भेजा था. ऐसे ही 8 अप्रैल 1930 के यूपी में दांडी यात्रा के लिए रायबरेली को चुना गया और उस समय जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे, उन्होंने अपने पिता मोतीलाल नेहरू को रायबरेली भेजा था. इसके बाद से नेहरू-गांधी परिवार का नाता रायबरेली सीट से रहा है. इसीलिए राहुल गांधी को रायबरेली और अमेठी में से किसी एक को चुनने की बात आई तो रायबरेली को उन्होंने चुना. गांधी परिवार रायबरेली सीट को नहीं छोड़ना चाहता है, क्योंकि यहां से उसका चार पीड़ियों का नाता है. ऐसे में राहुल गांधी अब रायबरेली सीट छोड़ते हैं तो फिर प्रियंका गांधी ही विकल्प होंगी.