Breaking
सस्ते नहीं, महंगे घरों की बढ़ रही है डिमांड, इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा स्कूल और घरों में भी सेफ नहीं बच्चे, केरल में थम नहीं रहा मासूमों का यौन शोषण बिहार में बेहाल मास्टर जी! कम पड़ रहा वेतन, स्कूल के बाद कर रहे डिलीवरी बॉय का काम बिहार: अररिया-हाजीपुर और किशनगंज में सांस लेना मुश्किल, 11 जिले रेड जोन में; भागलपुर और बेगूसराय में... मेरठ में महिला से छेड़छाड़ पर बवाल, 2 पक्षों के लोग आमने-सामने; भारी पुलिस बल तैनात अर्पिता मुखर्जी को मिली जमानत, बंगाल में शिक्षक भर्ती स्कैम में ED ने जब्त किया था करोड़ों कैश महाराष्ट्र का अगला CM कौन? दो दिनों के बाद भी सस्पेंस बरकरार फिर विवादों में IPS रश्मि शुक्ला, देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, EC से की एक्श... महाराष्ट्र में हार के बाद INDIA ब्लॉक में रार, ममता को गठबंधन का नेता बनाने की मांग आश्रम में ‘डाका’… दर्शन के बहाने जाती और करती रेकी, युवती ने दोस्तों संग मिल 22 लाख का माल किया पार

केंद्र से तीन माह से नहीं आ रही टीबी की जरूरी दवाएं, 70 हजार रोगियों पर मंडराया यह खतरा

Whats App

भोपाल। प्रदेश के लगभग 70 हजार टीबी राेगियों पर इसकी दवाओं का असर कम होने (ड्रग रजिस्टेंट होने) का खतरा बढ़ गया है। कारण, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल टीबी डिवीजन से टीबी की दवाओं की आपूर्ति पिछले तीन माह से नहीं हाे रही है। बताया जा रहा है कि यह दवाएं मात्र तीन कंपनियां ही बनाती हैं, पर उनके पास कच्चा माल यानी दवाएं बनाने का पाउडर उपलब्ध नहीं होने के कारण दवाएं नहीं बन पा रही हैं।

Whats App

पिछले वर्ष सितंबर से ही दवाओं की कमी हो रही थी, पर इस वर्ष फरवरी से पुराना स्टॉक खत्म होने के कारण मध्य प्रदेश सहित देशभर में किल्लत और बढ़ गई है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों के चौतरफा दबाव के बाद कंपनियाें ने दवाएं बनाना फिर से शुरू की है, पर यह जरूरत का 10 प्रतिशत भी नहीं है।

प्रदेश में बच्चों के लिए उपयोग होने वाली टीबी की दवाओं की मात्रा बढ़ाकर बड़ों को दी जा रही है, वह भी मात्र एक-एक सप्ताह के लिए। फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) तीन और चार दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है। यह टीबी की प्रारंभिक दवाएं हैं जो कुल रोगियों में लगभग 92 प्रतिशत काे दी जाती है। बाकी आठ प्रतिशत टीबी रोगियों के लगभग सात प्रतिशत मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) और एक प्रतिशत के आसपास एक्सट्रीम ड्रग रेजिस्टेंट (एक्सडीआर) वाले होते हैं। इन्हें एफडीसी-3 और एफडीसी-4 के स्थान पर दूसरी दवाएं दी जाती हैं।

 

केंद्र से नहीं हो रही आपूर्ति

उधर, केंद्र से आपूर्ति नहीं होने पर मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन ने भी दवाओं की आपूर्ति के लिए कंपनियों से दर अनुबंध किया। इसमें भी उन्हीं कंपनियों ने भाग लिया जो केंद्र को दवाएं आपूर्ति करती हैं, पर उत्पादन कम होने के कारण अभी तक आपूर्ति नहीं की। सूत्रों के अनुसार कंपनियों ने कहा है कि पहले केंद्र सरकार को आपूर्ति की जाएगी। इस संबंध में राज्य क्षय अधिकारी डा. वर्षा राय ने कहा कि केंद्र से दवाएं आने लगी हैं। कम समय के लिए, पर सभी रोगियों को दवाएं मिलने लगी हैँ।

 

2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का है लक्ष्य

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 2025 तक टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, पर मप्र से सहित देशभर में दवाओं की किल्लत से इस लक्ष्य को पाने में मुश्किल आ सकती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हर राज्य को अधिक से अधिक रोगी खोजने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है। अनुमान है कि प्रति लाख आबादी पर टीबी के 216 रोगी होते हैं, पर कोई राज्य इस लक्ष्य के पास तक भी नहीं पहुंच रहा है। हालांकि, अब टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए पहले की तुलना नए रोगी अधिक खोजे जा रहे हैं, जिससे अधिक मात्रा में दवाओं की आवश्यकता पड़ रही है, पर मिल नहीं रहीं।

 

एचआइवी एवं एड़्स राेगियों और गैस पीड़ितों की बीमारी बढ़ने का डर

 

टीबी दवाओं की कमी के चलते सामान्य रोगियों के अतिरिक्त एचआइवी एवं एड़्स राेगियों और गैस पीड़ितों की बीमारी बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। एड़्स के लगभग 25 प्रतिशत राेगी प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से टीबी से भी संक्रमित हो जाते हैं। उनकी टीबी की दवा में अंतराल होने से उनका संक्रमण तेजी से बढ़ सकता है। यही स्थित गैस पीड़ितों की है।

 

एक दिन का भी अंतराल पड़ सकता है भारी

 

टीबी के मरीजों को शुरू से एफडीसी-4 या एफडीसी-3 दवा दी जाती है। एफडीसी-चार में आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन, एथमब्यूटोल और पाइराज़िनामाइड दवाएं मिश्रित रहती हैं। एफडीसी-3 में आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिसिन, एथमब्यूटोल का मिश्रण (कंबिनेशन) दिया जाता है। शुरू के छह माह तक लगातार यह दवाएं चलती हैं। इसमें एक दिन का भी अंतर होने पर मरीज की बीमारी एमडीआर में बदलने का खतरा रहता है। एमडीआर टीबी को ठीक करने के लिए फिर उसे लंबे समय तक सात दवाओं के मिश्रण वाली दवा दी जाती है।

सस्ते नहीं, महंगे घरों की बढ़ रही है डिमांड, इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा     |     स्कूल और घरों में भी सेफ नहीं बच्चे, केरल में थम नहीं रहा मासूमों का यौन शोषण     |     बिहार में बेहाल मास्टर जी! कम पड़ रहा वेतन, स्कूल के बाद कर रहे डिलीवरी बॉय का काम     |     बिहार: अररिया-हाजीपुर और किशनगंज में सांस लेना मुश्किल, 11 जिले रेड जोन में; भागलपुर और बेगूसराय में बढ़ी ठंड     |     मेरठ में महिला से छेड़छाड़ पर बवाल, 2 पक्षों के लोग आमने-सामने; भारी पुलिस बल तैनात     |     अर्पिता मुखर्जी को मिली जमानत, बंगाल में शिक्षक भर्ती स्कैम में ED ने जब्त किया था करोड़ों कैश     |     महाराष्ट्र का अगला CM कौन? दो दिनों के बाद भी सस्पेंस बरकरार     |     फिर विवादों में IPS रश्मि शुक्ला, देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, EC से की एक्शन की मांग     |     महाराष्ट्र में हार के बाद INDIA ब्लॉक में रार, ममता को गठबंधन का नेता बनाने की मांग     |     आश्रम में ‘डाका’… दर्शन के बहाने जाती और करती रेकी, युवती ने दोस्तों संग मिल 22 लाख का माल किया पार     |