भारत, निर्यात किए जाने वाले मसालों में ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड – एक कैंसरकारी रसायन) संदूषण को रोकने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश लेकर आया है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि सरकार ने सिंगापुर और हांगकांग को निर्यात किए जाने वाले मसालों की अनिवार्य जांच जैसे अन्य निवारक उपाय किए हैं. कुछ मसालों में ईटीओ अवशेषों की मौजूदगी के कारण सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों को वापस मंगाने की खबरों के बीच यह कदम महत्वपूर्ण है.
सरकार ने जारी की गाइडलाइन
अधिकारी ने कहा कि सिंगापुर और हांगकांग के लिए ईटीओ के अनिवार्य प्री-शिपमेंट सैंपलिंंग और टेस्टिंग शुरू कर दी गई है और ईटीओ के संभावित कंटैमिनेशन से बचने के मकसद से सप्लाई के सभी चरणों (सोर्सिंग, पैकेजिंग, परिवहन, परीक्षण) को दायरे में लाते हुए सभी एक्सपोटर्स के लिए गाइडलाइन लागू की गई हैं. अधिकारी ने कहा कि मसाला बोर्ड द्वारा एक्सपोटर्स से समय-समय पर नमूने भी लिए जा रहे हैं, जिसके आधार पर सुधारात्मक उपाय लागू किए जाते हैं. मामले को समझाते हुए एक अन्य अधिकारी ने कहा कि खाद्य उत्पादों में कुछ हद तक नमूना विफल होने की दर होती है और भारत में सह एक प्रतिशत से भी कम है.
क्वालिटी पूरर करते हैं मसाले
अधिकारी ने कहा कि ?वित्त वर्ष 2023-24 में, लगभग 14 लाख टन मसालों में से 99.8 फीसदी विभिन्न देशों की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, और सभी खेपों में से केवल 0.2 प्रतिशत गैर-अनुपालक मसाले थे. दूसरी ओर, आयातित खाद्य खेपों में से 0.73 फीसदी गैर-अनुपालक थे. ईटीओ के कारण यूरोपीय संघ को भारतीय खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर अलर्ट में भारी गिरावट आई है. इसके अलावा, अधिकांश देशों में ईटीओ के लिए अलग-अलग एमआरएल (अधिकतम अवशेष सीमा) हैं.
उदाहरण के लिए, जहां यूरोपीय संघ ने यह सीमा 0.02 से 0.1 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तय की है, वहीं सिंगापुर की सीमा 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम और जापान ने 0.01 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तय की है. विभिन्न देश अपने देश-विशिष्ट अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) और आहार उपभोग पद्धति के आधार पर कीटनाशकों के लिए अपने स्वयं के एमआरएल तय करते हैं. एथिलीन ऑक्साइड के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय मानक नहीं है.
वैश्विक मानदंडों के अनुरूप
एथिलीन ऑक्साइड, अपनी अस्थिर प्रकृति के कारण, कोई निशान नहीं छोड़ता है, और यदि हवा के अंश के संपर्क में आने से बचाव नहीं किया जाये तो जल्द ही उत्पादों में कोलोरो एथिलीन (सीई) में परिवर्तित हो जाता है. अधिकारी ने कहा कि भोजन में ईटीओ अवशेषों और 2-सीई की उपस्थिति का प्रभाव कोई सुलझा हुआ मुद्दा नहीं है. अधिकारी ने कहा कि भारतीय भोजन वैश्विक मानदंडों के अनुरूप है और हमारी अस्वीकृति दर बहुत कम है. भारतीय खाद्य खेपों पर अलर्ट में भारी गिरावट आई है और उस दिशा में बहुत काम किया गया है.
कितना है बिजनेस
वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात 2022-23 के 3.7 अरब के मुकाबले कुल 4.25 अरब डॉलर का रहा था. वैश्विक मसाला निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है. भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख मसालों में मिर्च पाउडर शामिल है, जो 1.3 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सूची में सबसे ऊपर स्थान पर है.