भगवान जगन्नाथ पर ‘‘जुबान फिसलने” को लेकर विवादों में घिरे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और पुरी लोकसभा सीट से पार्टी के प्रत्याशी संबित पात्रा ने विभिन्न वर्गों से आलोचनाओं के बाद माफी मांगी है और मंगलवार से तीन दिन तक उपवास रखकर प्रायश्चित करने की घोषणा की है। पात्रा ने सोमवार को टेलीविजन चैनलों से बातचीत में कहा था कि राज्य के प्रतिष्ठित देवता ‘‘भगवान जगन्नाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भक्त हैं।” पात्रा ने बाद में स्पष्ट किया था कि यह सिर्फ जुबान फिसलने के कारण हुआ और वह यह कहना चाहते थे कि प्रधानमंत्री भगवान जगन्नाथ के परम ‘भक्त’ हैं।
प्रायश्चित के लिए अगले 3 दिन उपवास करूंगा
पात्रा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘…इस गलती के लिए, मैं भगवान जगन्नाथ के चरणों में सिर झुकाकर क्षमा मांगता हूं। मैं इस गलती का प्रायश्चित करने के लिए अगले तीन दिन उपवास करूंगा।” पात्रा की टिप्पणी पर विवाद तब बढ़ गया जब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटायक ने उनके बयान की कड़ी निंदा की और भाजपा से भगवान जगन्नाथ को राजनीति में न घसीटने की अपील की। पटनायक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में ओडिया ‘अस्मिता’ को ठेस पहुंचाने के लिए पात्रा की आलोचना की।
इंसान का ‘भक्त’ कहना भगवान का अपमान है
उन्होंने पोस्ट में कहा, ‘‘महाप्रभु श्रीजगन्नाथ ब्रह्मांड के स्वामी हैं। महाप्रभु को किसी इंसान का ‘भक्त’ कहना भगवान का अपमान है…यह पूरी तरह निंदनीय है। इससे भावनाएं आहत हुई हैं और दुनियाभर में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों तथा उड़िया लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।” पटनायक ने कहा, ‘‘भगवान उड़िया अस्मिता के सबसे बड़े प्रतीक हैं। मैं इस बयान की कड़ी निंदा करता हूं…और मैं भाजपा से अपील करता हूं कि वह भगवान को किसी भी राजनीतिक चर्चा में शामिल न करे। ऐसा करके आपने ओडिया अस्मिता को गहरी चोट पहुंचाई है और इसे ओडिशा के लोग लंबे समय तक नहीं भूलेंगे।”
भाजपा जनता तो क्या, हमारे देवताओं को भी नहीं बख्शेगी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पात्रा के बयान की निंदा की। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पुरी से भाजपा के प्रत्याशी द्वारा की गयी टिप्पणियां करोड़ों लोगों के श्रद्धेय महाप्रभु श्री जगन्नाथ का अपमान हैं। हम कड़े शब्दों में इसकी निंदा करते हैं। यह हमारे इस आरोप को मजबूत करता है कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा भारत की जनता तो क्या, बल्कि हमारे देवताओं को भी नहीं बख्शेगी। जनता की इच्छाशक्ति से चार जून को यह अहंकार चूर-चूर हो जाएगा।”