उत्तर प्रदेश में माफियाओं की संपत्तियों पर प्रशासन समय-समय पर बुलडोजर चलाता आया है. इस कार्रवाई पर विपक्ष भी योगी सरकार पर निशाना साधता आया है. वहीं, गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के गाजीपुर से प्रत्याशी पारस राय ने एक नुक्कड़ सभा में बताया कि आखिर क्यों उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर नीति लानी पड़ी, इसके बारे में उन्होंने खुलकर बताया.
पारसनाथ राय भाजपा के टिकट पर गाजीपुर से चुनावी मैदान में हैं. वह गाजीपुर में लगातार प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. साथ ही वे लगातार सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी और उनके भाई मुख्तार अंसारी पर भी जमकर हमला कर रहे हैं. कहीं खुलकर तो कहीं अप्रत्यक्ष रूप वे सपा उम्मीदवार की बुराइयों पर बात करते हुए नजर आ रहे हैं. गुरुवार को भी कुछ ऐसा ही सुनने को मिला.वे एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने वहां लोगों को बताया कि राज्य सरकार को बुलडोजर का सहारा क्यों लेना पड़ा.
स्कूल के दिनों की बात बताई
पारसनाथ राय ने बताया कि जब हम लोग प्राइमरी और मिडिल स्कूल में पढ़ा करते थे, तब हमारे क्लास टीचर कहते थे कि दो लेशन याद करके आना तो हम लोग पूरी रात जागकर उसे तैयार करते थे. हमें पता था कि यदि हम लोग लेशन याद करके नहीं जाएंगे तो हमारे साथ क्या होगा. हमें क्लास में छोटा बुलडोजर दिखा कर डराया जाता था.
पारस राय ने आगे कहा कि जब न्यायालय ने अपना हाथ उठा दिया था, न्यायाधीश छुट्टियां लेकर जाने लगे,लंबी-लंबी तारीखें पड़ने लगीं और फैसले में देरी होने लगी या जज फैसला देने से इनकार करने लगे, तब बुलडोजर के अलावा दूसरा क्या रास्ता था?
बुलडोजर नीति आज के समय में बहुत जरूरी
उन्होंने अपराधियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि फैसले लंबित होने से अपराधी बिना किसी डर के घूमते रहते थे. उन लोगों की पहुंच ऊपर तक थी. अपराधी कुछ भी कर सकते हैं, इसलिए बुलडोजर नीति आज के समय में बहुत जरूरी बन गया. इससे अपराधियों पर तत्काल दबाव बनाया जा सकता है.