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राजकोट अग्निकांड: बच्चों को बचाने में जिंदा जली आशा… खुद नहीं बचा पाई अपनी जान, सदमे में परिवार

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राजकोट में टीआरपी गेम जोन की आग शायद बुझ गई है लेकिन उस आग से जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिजनों के दिल अभी भी जल रहे हैं. इस हादसे में 28 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 12 बच्चे भी शामिल हैं. हादसे में एक ऐसी लड़की ने भी अपनी जान गवाई है जिसने सिर्फ मानवता को प्राथमिकता दी और बच्चों को बचाते-बचाते जान से हाथ धो बैठी.

गेम जोन में करीब 8 महीने पहले ही 20 साल की आशा काम करने के लिए आई थी. गेम जोन मे काम करते वक्त आशा ने अपने परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट करने की ठानी थी. वह अपना काम पूरी मेहनत और लगन के साथ करती थी. लेकिन, उसे नहीं मालूम था कि एक दिन यही काम उसकी मौत की वजह बन जाएगा. गेम जोन में आने वाले सभी बच्चों से आशा बहुत ही अच्छे से व्यवहार करती थी और सभी की बहुत मदद करती थी.

बच्चों को बचाने में जुटी

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शनिवार की शाम को जब अचानक गेम जोन में आग लगी उस वक्त आशा भी अंदर ही मौजूद थी. वह चाहती तो भागकर अपनी जान बचा सकती थी लेकिन, उससे पहले उसका फर्ज बीच में आ गया. उसके सामने बच्चे आग से बचकर भागने की कोशिश कर रहे थे, उनके साथ परिजन भी परेशान थे. इस बीच आशा ने बच्चों को बचाने की कोशिश की. जो बच्चे फंसे हुए थे उन्हें निकालने की कोशिश की. इस बीच आशा खुद आग का शिकार हो गई और उसकी भी मौत हो गई. आशा अपने पीछे एक रोता-बिलखता परिवार छोड़ गई है. परिजन फिलहाल अपनी बेटी के शव की डिमांड कर रहे हैं, इसके अलावा वह सरकार और सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

क्या है मामला

दरअसल शनिवार की शाम को गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेम जोन में भीषण आग लग गई थी. गेम जोन में सहायक के काम में लगी आशा भी मौजूद थी. अचानक लगी आग प्लास्टिक और रबर के ज्यादातर सामान होने की वजह और हवा तेज होने की वजह से कुछ ही देर में पूरे गेम जोन में फैल गई. इस भीषण आग में 28 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 12 बच्चे शामिल हैं. दर्दनाक हादसे में अब तक 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 6 लोगों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है.

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