जबलपुर। एक कहावत में भी कहा गया है-तपै नवतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय। हालांकि, विज्ञान नौतपा को नहीं मानता है। विज्ञानियों का कहना है कि इन दिनों किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। इसी कारण तापमान बढ़ जाता है। ज्यादा गर्मी पड़ने से मानसून अच्छा ही होगा, ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। हां, गर्मी तेज होने से मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र निर्मित होता है, इसे हीट लो कहा जाता है। यह मानसून को सक्रिय करने में मददगार होता है।
नौतपा के ये नौ दिन फसलों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं
एक तरफ नौतपा में पड़ रही भीषण गर्मी ने लोगों को हलकान कर रखा है वहीं किसान व जानकार नौतपा को जरूरी बता रहे हैं। उनका मनना है कि नौतपा के नौ दिन जितना ज्यादा तपेंगे वर्षा भी उतनी ज्यादा होगी और खेती भी उतनी अच्छी होगी। नौतपा के ये नौ दिन फसलों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं।
नौतपा भी जरूरी, जितने ज्यादा तपेंगे नौ दिन फसलों को उतना फायदा
इन दिनों नौतपा की खूबियां बताता एक मैसेज भी बहुप्रसारित हो रहा है। जिसमें ये बताने की कोशिश की जा रही है कि नौतपा भी बेहद जरूरी है। क्योंकि जितनी ज्यादा तपन होगी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट-पतंगे व व्याधियां खत्म हो जाएंगी। किसानों का मानना है कि उन्हें नौतपा का बेसब्री से इंतजार रहता है।
बहुप्रसारित मैसेज में नौतपा का गुणगान
बहरहाल इन दिनों तो मैसेज बहुप्रसारित हो रहा है उसके अनुसार “नौतपा के पहले दो दिन लू नहीं चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) बहुत हो जाएंगे। तीसरे दिन से दो दिन लू नहीं चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू नहीं चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी नहीं तपा तो आंधी अधिक चलेगी, जो फसलें चौपट कर देगी”। यानी ये नौ दिनों की तपन फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली व्याधियां खत्म कर देती है जिससे वर्षा के बाद फसलें अच्छी होती है। किसान इसे सही मानते हैं।
क्या है नौतपा और कब से हुई शुरुआत?
इस साल 25 मई से नौतपा की शुरुआत हो गई है और यह 2 जून को खत्म हो जाएगा। नौतपा अवधि के दौरान सूर्य की किरणें सीछे पृथ्वी पर पड़ती है और लोगों को तेज धूप का सामना करना पड़ता है. रोहिणी नक्षत्र आते ही नौतपा की शुरुआत होती है और लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी से सामना होता है।भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब सृर्य रोहणी नक्षत्र में प्रवेश करता है और नौ दिनों तक रहता है तो इसको नौतपा अवधि कहते हैं. नौतपा अवधि मई के अंत और जून के पहले सप्ताह में आता है।