जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रश्मि रंजन स्वैन के अनुसार नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार स्थित लॉन्च पैड पर सक्रिय लगभग 60 से 70 आतंकवादी भारत में घुसपैठ की फिराक में हैं। इसके साथ ही स्वैन ने बताया कि पाकिस्तान की क्षमता दिन पर दिन कम हो रही है, लेकिन इसके बावजूद ये देश जम्मू-कश्मीर में लोगों और सामग्री को भेजने से बाज नहीं आ रहा है।
सीमा पार से अवैध लोगों और सामानों का आना अब भी जारी
जम्मू-कश्मीर पुलिस और अपराध जांच विभाग (सीआईडी) का दोहरा कार्यभार संभाल रहे स्वैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा कि सुरक्षा सलाहकारों के साथ बैठकों में हम आम तौर पर ये बात सामने आई है कि प्रतिद्वंद्वी या दुश्मन ने भारतीय सीमा के अंदर लोगों और सामग्री भेजने पर लगाम नहीं लगाई है। सीमा से सटे इलाके में ड्रोन के जरिए इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देना अब भी जारी है।
दुश्मन कमजोर है मगर अस्थिरता पैदा कर सकता है
पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने पश्चिमी पड़ोसी देश से आए विदेशी आतंकवादियों की मौजूदगी का भी जिक्र किया। इन आतंकी गतिविधियों से मुकाबला करने में कुछ सफलता जरूर मिली है, लेकिन इसी के साथ वो ये भी मानते हैं कि सीमापार से खतरा अब भी बना हुआ है। हम क्षेत्र को अस्थिर करने की दुश्मन की क्षमता लगातार कम करने के प्रयास कर रहे हैं। वो मानते हैं कि दुश्मन का इरादा वही है, मगर उसकी क्षमता निश्चित रूप से कम हुई है। क्षमता कम होने के बावजूद दुश्मन
आपको कभी-कभार झकझोरकर आपको अस्थिर कर सकता है।
मुस्तैद खड़ी है सेना और पुलिस की दोहरी दीवार
स्वैन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि किसी हो सकता है कि एक समय में पांच या छह के ग्रुप में 60-70 लोग हमारी तरफ घात लगाए किसी मौके की तलाश में बैठे हों। लेकिन हम लोग हर वक्त तैयार रहते हैं। उन्होंने सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के बीच तालमेल का जिक्र करते हुए कहा कि हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं कि दुश्मन के किसी भी गलत मंशूबे को पूरा न होने दें।
सीमापर से भेजे गए ड्रोन हैं बड़ी चुनौती
ड्रोन गिराए जाने के मुद्दे पर स्वैन ने कहा कि ये गतिविधियां एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश करती हैं। क्योंकि ड्रोन के जरिए आतंकवादी हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक, नकदी और मादक पदार्थों की तस्करी को सुगम बनाते हैं। उन्होंने बताया कि हम पहले के मुकाबले अब इस खतरे से निपटने में काफी बेहतर स्थिति में आ गए हैं। लेकिन फिर भी इन गतिविधियों को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए निरंतर सतर्कता की जरुरत पड़ती है।