देश में जिस परीक्षा के बाद छात्र डॉक्टर बनते हैं वो परीक्षा NEET सवालों के घेरे में आ गई है. नीट परीक्षा कराने वाली करवाने वाली एजेंसी NTA को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. ये जंग सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़कों तक लड़ी जा रही है. आज सुप्रीम कोर्ट से छात्रों के लिए बड़ी खबर आई. NEET के 1563 कैंडिडेट्स की 23 जून को दोबारा परीक्षा होगी. इन्हें ग्रेस मार्क्स मिले थे, लेकिन सवाल सिर्फ ग्रेस मार्क्स का ही नहीं है. सवाल ये भी है कि पहली बार नीट में 67 छात्रों ने टॉप कैसे किया और एक ही एग्जाम सेंटर से 6 छात्र टॉपर कैसे हो सकते हैं. सवाल ये भी है कि ऑफलाइन परीक्षा में देरी का पैमाना क्या है.
NTA के श्यामपट्ट पर सवालों की दर्जनों लकीरें उभर आई हैं, जिस परीक्षा को पास करके डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू होती है, उस नीट की पवित्रता संकट में घिरी नजर आ रही है. कथित गड़बड़ियों की त्रिजियाएं ईमानदारी के परिमापों को तोड़ रही हैं, डॉक्टरी का सपना संजोए सैकड़ों छात्र असमंजस के त्रिभुजों-आयतों में फंसे नजर आ रहे हैं.
याचिकाकर्ताओं की वकील सुरीति चौधरी ने कहा कि 3 मुद्दे मुख्य हैं: पहला ग्रेस मार्क्स, दूसरा पेपर लीक से जुड़ा है और तीसरा मुद्दा गलत सवालों का. इन सवालों का जवाब जिन छात्रों ने दिया, उनके साथ क्या कोई भेदभाव नहीं हुआ?
नीट की परीक्षा जितनी कठिन है, परिणामों के बाद विरोध कर रहे छात्रों के सवाल भी उतने ही कठिन हैं. छात्र जानना चाहते हैं कि 67 कैंडिडेट्स कैसे टॉपर हो सकते हैं. एक ही सेंटर के 6 छात्रों के 720 में से 720 अंक कैसे आ सकते हैं. 720 में से 718 और 719 अंक कैसे आ सकते हैं. 1563 स्टूडेंट को ग्रेस मार्क्स किस आधार पर तय हुए.
NTA ने बनाई कमेटी
NTA डीजी सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि हमने कमेटी बनाई है. कमेटी एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेंगी. किसी भी छात्र के साथ गलत नहीं होगा. नीट की परीक्षा कराने वाली एजेंसी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA शक और सवालों के घेरे में है. NTA छात्रों के दर्जनों सवालों का जवाब FAQ के जरिए दे रही है, लेकिन राजनीति के गलियारों से भी सवालों की बौछार हो रही है.