जबलपुर। सेना में रहकर दो युद्ध में लड़ते हुए वीरता पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति को सरकार की ओर से दी गई पंद्रह एकड़ जमीन का पट्टा आवंटित न किए जाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि जमीन के पट्टे के लिए सैनिक रहे व्यक्ति ने तहसीलदार के समक्ष आवेदन किया था। तहसीलदार द्वारा आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के खिलाफ उनके पुत्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट में साल 2010 को उक्त याचिका दायर की गई थी
याचिकाकर्ता साहेब सिंह बनकर की ओर से हाईकोर्ट में साल 2010 को उक्त याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि उनके पिता भोला सिंह भारतीय सेना में थे और दो युद्ध लड़े थे। युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन करने के कारण उन्हें वीरता पुरस्कार भी मिला था। वीरता पुरस्कार मिलने के कारण सरकार की ओर से उन्हें ग्राम महुआ खेड़ा, तहसील सोहागपुर, जिला नर्मदापुरम में 15 एकड़ भूमि दी गई थी। उनके पिता ने जमीन का पट्टा जारी किए जाने के लिए साल 1995 में सोहागपुर तहसीलदार के समक्ष आवेदन दायर किया था।
आवेदन अब तक लंबित है और उनके पिता की मृत्यु हो गई है
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अगस्त 2010 में नोटिस जारी किए गए थे। सरकार को अप्रैल 2024 में जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया गया था। इसके बावजूद जवाब पेश नहीं किया गया। एकलपीठ ने याचिका का निराकरण कर आदेश में कहा है कि तहसीलदार सोहागपुर ने अब तक आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया है है तो वह ग्राम सरपंच सहित अन्य संबंधित को सुनवाई का अवसर प्रदान करें। तहसीलदार चार माह की निर्धारित अवधि में आवेदन का निराकरण करें। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत चौरसिया ने पक्ष रखा।