जब भी कहीं राजस्थान का जिक्र होता तो एक तस्वीर निकलकर सामने आती है जिसमें रेत के बड़े-बड़े टीले नजर आते हैं और उन टीलों पर अपनी इठलाती चाल से चलते ऊंठ. लेकिन ये बात भी सच है की इस रेगिस्तानी राज्य में पानी के लिए कई जगहों पर लोगों को परेशान होना पड़ता है. लेकिन भीलवाड़ा के लोग ज्यादा पानी से परेशान हो रहे हैं. यहां के कुछ यही हाल है भीलवाड़ा का. कुछ सालों पहले तक भीलवाड़ा के लोगों की प्यास ट्रेन से आयातित पानी ही बुझाता था.
साल 2016 में जब चंबल का पानी भीलवाड़ा आया तो आम आदमी की प्यास बुझाने के साथ भीलवाड़ा के टेक्स्टाइल उद्योग को भी राहत मिली. साल 2016 से चंबल के पानी से भीलवाड़ा की आपुर्ति हो रही है. पानी का रिचार्ज लगातार होने की वजह से भीलवाड़ा के कुछ इलाकों में अब जलस्तर 10 से 15 फीट तक जा पहुंचा है जिसकी वजह से भीलवाड़ा जिले में बने ज्यादातर बेसमेंट में अपने आप पानी रिसकर आने लगा है.
भीलवाड़ा जिले का जलस्तर बढ़ा
इस परेशानी से अब लोग परेशान हैं और ज्यादातर बेसमेंट में पानी की मोटर परमानेंट ही लगाई जा रही है जिससे बेसमेंट से रिसकर आने वाले पानी को बाहर निकाला जा सके. भीलवाड़ा के उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया की 2016 के बाद से ही चम्बल का पानी मिलने से और वाटर रिचार्ज होने से भीलवाड़ा जिले का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
जमीन से रिसकर बाहर आ रहा है पानी
इस जलस्तर के बढ़ने की वजह से कॉम्प्लेक्स और मकान में बने बेसमेंट में पानी रिसकर बाहर आने लगा है. लोगों ने बेसमेंट से पानी निकालने के लिए स्थाई रूप से मोटर लगाई हुई है और कुछ लोगों ने बेसमेंट में ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम करवाया हुआ है मगर फिर भी पानी लगातार जमीन से रिसकर बाहर आ रहा है. प्रशासन को कई बार इसके बारे में बताया गया है लेकिन इसका कोई स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह से कई बेसमेंट अब बंद कर दिए गए हैं.