भारत के कई राज्यों, खासकर उत्तर भारत में भीषण गर्मी कहर बनकर मौत बरसा रही है तो दुनिया के कई दूसरे देश भी गर्मी के कारण परेशान हैं. यहां तक कि दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा मानी जाने वाली हज यात्रा पर गए लोगों पर भी गर्मी कहर ढा रही है. सऊदी अरब के मक्का में तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिसके कारण 645 हज यात्रियों की जान जा चुकी है. इनमें सबसे ज्यादा मृतक मिस्र, भारत और जॉर्डन के हैं. वहीं, पिछले साल हज के दौरान 240 यात्रियों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर इंडोनेशियाई थे.
हज यात्रियों की मौत ने पूरी दुनिया को चौंकाया
सऊदी अरब में इस बार इतनी बड़ी संख्या में हज यात्रियों की मौत ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. भीषण गर्मी के कारण 2700 से ज्यादा तीर्थयात्री बीमार हैं. इसकी जानकारी खुद सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है. वहीं मृतकों में मिस्र के सबसे ज्यादा 323 नागरिक हैं. सऊदी अरब सरकार का दावा है कि मिस्र के सभी तीर्थयात्रियों की मौत गर्मी के कारण ही हुई है. केवल एक यात्री भीड़ की टक्कर में घायल हुआ था. वहीं, भारत के 68और जॉर्डन के कुल 60 हज यात्रियों की मौत हुई. भीषण गर्मी के बावजूद इस साल 1.8 मिलियन तीर्थयात्री हज यात्रा में शामिल हुए, जिनमें 1.6 मिलियन विदेशी थे. सऊदी अरब की सरकार के छाते का इस्तेमाल करने और हमेशा हाइड्रेट रहने की सलाह के बावजूद हालात बिगड़ गए और पूरी दुनिया में उसकी किरकिरी हुई.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रहा सऊदी में धार्मिक स्थलों का तापमान
विशेषज्ञों की मानें तो मक्का में हुईं इन मौतों के लिए इंसान सीधे नहीं तो अप्रत्यक्ष तौर पर खुद जिम्मेदार है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में हुए बदलाव का ही असर सऊदी में हज यात्रा पर देखने को मिला. बढ़ते तापमान की बड़ी वजहों में इंसानी गतिविधियां भी शामिल हैं.
सऊदी अरब में हुए एक अध्ययन में हाल ही में खुलासा हुआ है कि वहां के धार्मिक स्थलों पर हर दशक में तापमान में 0.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है. इस बार हज यात्रा के दौरान मक्का की ग्रैंड मस्जिद का तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है.
इसलिए मिस्र के लोगों की मौत ज्यादा
इसी ज्यादा तापमान का ज्यादा असर मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया के लोगों पर पड़ा, क्योंकि वे इतनी गर्मी झेलने के आदी नहीं होते हैं. तापमान की बात करें तो जॉर्डन घाटी में गर्मियों में अधिकतम पारा 38-39 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है. देश के रेगिस्तानी इलाकों में अधिकतम तापमान 26-29 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है. वहीं, मिस्र के तटीय क्षेत्रों में तो सर्दियों में औसत तापमान न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में अधिकतम औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है. वहीं, इंडोनेशिया में पूरे साल औसत तापमान 27-28 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है. शुष्क गर्मी पड़ने पर भी यह 33-34 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रहता.
भारतीय मौसम विज्ञानी डॉ आनंद शर्मा कहते हैं कि हर इंसान की अपनी क्षमता होती है. इम्यून सिस्टम होता है. जो लोग अधिकतम 34-35 डिग्री सेल्सियस में स्थायी निवास करते हैं, और अचानक उन्हें 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भेज दिया जाए तो भी वे बेचैन हो सकते हैं. जैसे दिल्ली में मौसम 42-44 डिग्री आम बात है लेकिन जैसे ही पारा 46-47 पहुंचा, चारो ओर शोर होने लगा. ठीक वैसे ही सामान्य तापमान में रहने वाले लोगों को अचानक 12-15 डिग्री ज्यादा तापमान वाले इलाकों में भेज दिया जाएगा तो सेहत खराब होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. सऊदी अरब में जो मौतें हुई हैं, उसके पीछे यह एक बड़ा कारण हो सकता है.
तीनों देशों से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं हज यात्री
सऊदी अरब का एक नियम यह है कि मुस्लिम देशों की हर एक हजार आबादी पर एक व्यक्ति हज यात्रा पर जा सकता है. दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है, इसलिए वहां के सबसे ज्यादा यात्री हज पर जाते हैं. ऐसे ही मिस्र और जॉर्डन से भी अधिक यात्री हज पर पहुंचते हैं. ऐसे में मक्का में होने वाली घटनाओं-दुर्घटनाओं की चपेट में भी यही लोग ज्यादा आते हैं.
बिना पंजीकरण ही मक्का पहुंच जाते हैं जायरीन
इससे बड़ी एक वजह यह है कि हज की आधिकारिक प्रक्रियाओं में बहुत पैसा लगता है. इससे बचने के लिए बड़ी संख्या में यात्री बिना पंजीकरण कराए ही मक्का पहुंच जाते हैं. पंजीकरण न होने के कारण इन यात्रियों को सऊदी अरब सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. वहीं, पंजीकरण वाले यात्रियों को वातानुकूलित स्थान पर रहने आदि की सुविधा मिलती है.
बिना पंजीकरण वाले जायरीनों के कारण मक्का के शिविरों में हालात बिगड़ गए. इसके कारण कई सेवाएं तो पूरी तरह से ठप हो गईं. कई लोगों खाना-पानी तक नहीं मिला. एयरकंडीशनर की सुविधा भी नहीं मिल पाई. इसके कारण गर्मी की चपेट में आने से लोगों की मौत हो गई.
मिस्र के एक राजनयिक ने कहा है कि बिना पंजीकरण वाले जायरीनों के कारण मौत की दर बढ़ी है. ऐसे ही इंडोनेशिया और दूसरे देशों ने भी मौतों की सूचना दी है.