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नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे निजी स्कूल, बच्चों का भविष्य अधर में

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बालाघाट। ये खबर उन पालकों काे सचेत करने वाली है, जो निजी स्कूलों के आकर्षक विज्ञापनों में फंसकर अपने बच्चे का दाखिला करा देते हैं, लेकिन ये स्कूल नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। इससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में फंस गया है।

शासकीय वीरांगना रानी दुर्गावती उमावि, बालाघाट (सीएम राइज) ने निरस्त किया

ये खुलासा तब हुआ, जब सरस्वती नगर बालाघाट स्थित दिल्ली पब्लिक किड्स स्कूल (डीपीएस) और वार्ड क्रमांक-28 स्थित किड्स क्लाउड स्कूल में कक्षा आठवीं तक पढ़ने वाले छह बच्चों का प्रवेश शासकीय वीरांगना रानी दुर्गावती उमावि, बालाघाट (सीएम राइज) ने निरस्त कर दिया। इनमें पांच छात्र डीपीएस (किड्स) स्कूल अौर एक छात्रा किड्स क्लाउड स्कूल से कक्षा आठवीं उत्तीर्ण हैं।

जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं

प्रवेश निरस्त करने के पीछे सीएम राइज स्कूल ने जो कारण सामने रखे हैं, उसने निजी स्कूलों के संचालन में प्रशासन, शिक्षा विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं। जानकारी के अनुसार, डीपीएस (किड्स) स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल को कक्षा आठवीं तक एमपी बोर्ड की मान्यता है, लेकिन स्कूल प्रबंधन खुद को सीबीएसई स्कूल से संबद्ध बताकर बच्चों के प्रवेश ले रहा है और नियम विरुद्ध बड़ी कक्षाएं भी संचालित कर रहा है। इतना ही नहीं, ये स्कूल अपने प्रचार-प्रसार में खुद को सीबीएसई संबद्ध स्कूल बताने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।

पोर्टल पर स्कोर कार्ड और अंकसूची ही नहीं

इस वर्ष के शैक्षणिक सत्र में डीपीएस किड्स स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का अच्छे अंक के आधार पर सीएम राइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश हुआ था, लेकिन जब इन निजी स्कूलों द्वारा बच्चों की टीसी और अंकसूची सीएम राइज स्कूल को प्रदाय की गई, तो इन स्कूलों का फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

सीएम राइज स्कूल के प्राचार्य डा. युवराज राहंगडाले द्वारा 22 जून को जारी प्रवेश निरस्त पत्र में उल्लेख किया है कि कक्षा आठवीं बोर्ड पैटर्न परीक्षा 2023-24 में उत्तीर्ण होने की पोर्टल पर जनरेट स्कोर कार्ड और अंकसूची प्रस्तुत ही नहीं की गई है। इसके अलावा काउंटर साइन की कार्रवाई भी नहीं की गई है। साथ ही इन स्कूलों द्वारा सीबीएसई एफिलेशन नंबर का फर्जी इस्तेमाल किया जा रहा है।

सीबीएसई एफिलेशन नंबर का कर रहे फर्जी इस्तेमाल

सीएम राइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश के लिए जब उक्त छह बच्चों को प्रवेश देने संबंधी प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई और उच्च कार्यालय से जानकारी मांगी गई, तब ये सच्चाई भी सामने आई कि डीपीएस किड्स स्कूल और किड्स क्लाउड स्कूल सीबीएसई एफिलेशन नंबर का फर्जी इस्तेमाल कर रहे हैं।

हैरानी की बात है कि इन स्कूलों को जिला शिक्षा अधिकारी बालाघाट द्वारा मान्यता प्रदान की गई है, जिसके आधार पर इन स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा पांचवीं और आठवीं के बच्चों को बोर्ड परीक्षा में शामिल करना अनिवार्य है, लेकिन किड्स क्लाउड स्कूल ने एमपी बोर्ड पांचवीं और आठवीं की परीक्षा ही नहीं ली है।

किड्स क्लाउड स्कूल ने इस साल कक्षा आठवीं की परीक्षा के त्रैमासिक और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के अंक ही पोर्टल पर दर्ज कराए हैं और वार्षिक परीक्षा के परिणाम में सभी बच्चों को अनुपस्थित दर्शाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किस आधार पर बच्चों को आठवीं में स्कूल प्रबंधन ने उत्तीर्ण किया है।

ऐसे चल रहा फर्जीवाड़ा

    • डीपीएस स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की टीसी उपलब्ध कराने में भी गड़बड़ी की है।
    • डीपीएस स्कूल ने आठवीं के बच्चों को बोर्ड पैटर्न की अंकसूची के बजाय लोकल मार्कशीट दी।
    • डीपीएस प्रबंधन ने पहले बच्चों की टीसी डीपीएस किड्स स्कूल के नाम से जारी की, बाद में दिल्ली पब्लिक स्कूल, खुरसोड़ी के नाम से
    • दोनों स्कूलों ने जिला शिक्षा अधिकारी से मान्यता प्राप्त की है। इसके लिए स्कूल को डाइस कोड जारी किए गए हैं।
    • दोनों स्कूल डाइस कोड के साथ दूसरे सीबीएसई स्कूल का एफिलेशन नंबर का उपयोग कर रहे हैं, जो शहर के बाहर संचालित हैं।
    • किड्स क्लाउड स्कूल गुरुदेव इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल का सीबीएसई एफिलेशन नंबर (1030822) का उपयोग कर रहा है।
    • डीपीएस (किड्स) स्कूल दिल्ली पब्लिक स्कूल, खुरसोड़ी का एफिलेशन नंबर (1031249) का उपयोग कर रहे हैं

परिजन परेशान, बोले- पूरा परिवार तनाव में है

सीएम रइज स्कूल में कक्षा नवमीं में प्रवेश निरस्त होने के बाद से छह छात्र-छात्राओं के अभिभावक और स्वयं बच्चे मानसिक रूप से परेशान हैं। पालक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर एक पालक ने बताया कि उनका बच्चे डीपीएस स्कूल खुरसोड़ी के रजिस्ट्रेशन में पढ़ते थे। सीएम राइज में प्रवेश के दौरान पता चला कि डीपीएस स्कूल ने बच्चे की जो मार्कशीट और टीसी उपलब्ध कराई है, वह गलत है। डीपीएस सीबीएसई स्कूल है, ये सोचकर बच्चे का एडमिशन कराया था, लेकिन अभी पता चल रहा है कि वह एमपी बोर्ड मान्यता प्राप्त है। बच्चों का अगर नवमीं में एडमिशन नहीं हुआ, तो उनका साल बर्बाद हो जाएगा।

फ्लैक्स में बता रहे सीबीएसई स्कूल, अनुमति आठवीं तक, संचालन दसवीं तक

शहर में ऐसे कई निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो पालकों को अंधेरे में रखकर प्रवेश ले रहे हैं। पालक ऐसे निजी स्कूलों के फर्जी प्रचार-प्रचार में फंसकर अपने बच्चों का दाखिला करा देते हैं। वार्ड क्रमांक-28 में संचालित किड्स क्लाउड स्कूल एमपी बोर्ड मान्यता प्राप्त स्कूल है और आठवीं तक कक्षाओं के संचालन की अनुमति है, लेकिन स्कूल प्रबंधन बेधड़क अपने फ्लैक्स में खुद को सीबीएसई स्कूल बताकर कक्षा दसवीं की टापर छात्राओं की तस्वीर लगाकर पालकों को भ्रमित कर रहा है।

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