तेलगांना के आदिवासी क्षेत्रों के अलावा दूर दराज के इलाकों में बेहतर मेडिकल सुविधा उलब्ध कराने के लिए एक नयाब शुरूआत हुई है. यहां अब मरीजों को पैदल चलकर या नदी नाले पारकर अस्पताल आने की जरूरत नहीं, बल्कि खुद अस्पताल लोगों के घर तक पहुंचेगा. इस तरह की व्यवस्था मंत्री सीताक्का और मुलुगु जिला कलेक्टर दिनाकरा के प्रयासों से बतौर पायलट प्रोजेक्ट मुलुगु जिले के दूरस्थ हिस्सों के लिए शुरू की गई है. इस व्यवस्था को कंटेनर अस्पताल नाम दिया गया है.सोशल मीडिया पर भी इस अस्पताल और इसे शुरू करने के प्रयासों की खूब सराहना हो रही है.
दरअसल मुलुगु जिले के आदिवासी क्षेत्रों में सड़क नहीं है. शहर भी काफी दूर हैं. चूंकि यहां के लोग जंगलों के आसपास रहते हैं, इससे वह अक्सर सर्पदंश या मौसमी बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं. ऐसे हालात में उन्हें शहर ले जाना काफी मुश्किल हो जाता है. कई बार शहर के अस्पताल पहुंचते पहुंचते लोगों की मौत तक हो जाती है. इस समस्या को देखते हुए जिले कलेक्टर दिनाकरा और इलाके से विधायक व राज्य सरकार में मंत्री सीताक्का ने पायलट प्रोजेक्ट शुरू कराया है. इसमें कंटेनर में 4 बेड का अस्पताल शुरू कराया गया है.
दूरस्थ इलाकों में घूमता रहेगा अस्पताल
डॉक्टर, जरूरी संसाधन और दवाइयों से लैस यह अस्पताल गांवों में घूमता रहेगा. इस दौरान संदिग्ध मरीजों की जांच और जरूरत के मुताबिक दवाइयां दी जाएगी. यदि किसी मरीज की हालत ज्यादा खराब होगी तो एंबुलेंस की तरह इसी कंटेनर अस्पताल से मरीजों को ले जाकर नजदीकी पीएचसी या सीएचसी में भर्ती भी कराया जाएगा. इस कंटेनर अस्पताल का उद्घाटन करते हुए मंत्री सीताक्का और जिला कलेक्टर दिनाकरा ने बताया कि यह सेवा आपातकालीन चिकित्सा के लिए शुरू की गई है. कहा कि मानसून के समय में यहां बड़े स्तर पर लोग बीमार पड़ते हैं, लेकिन समय रहते उन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती. ऐसे हालात में कई बार स्थिति विकराल हो जाती है.
प्रसव से लेकर सर्पदंश तक का होगा इलाज
अब कंटेनर अस्पताल की मदद से ऐसे मरीजों की समय रहते पहचान की जाएगी और बीमारी बढ़ने से पहले ही उसका इलाज कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि कंटेनर अस्पताल अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेन्द्र के रूप में काम करेगा. इस अस्पताल की सेवाएं फिलहाल मुलुगु जिले के तडवई मंडल में बंधाला ग्राम पंचायत के पोचापुर के आसपास नरसापुर, अल्लीगुडेम, बंडाला और बोलेपल्ली गांवों के लिए होगी. उन्होंने बताया कि इस कंटेनर में पार्टीशन कर 7 लाख रुपए की लागत से चार बेड लगाए गए हैं. इसी के साथ कंटेनर में एक छोटी सी लैब भी स्थापित की गई है. इसमें खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रसव की सुविधा तो होगी ही, सर्पदंश के अलावा मौसमी बीमारियों का इलाज हो सकेगा. मंत्री सीताक्का ने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट यदि सफल हो जाता है तो राज्य के अन्य जिलों में भी इस तरह की सुविधा शुरू की जाएगी.