जम्मू का इलाका हमेशा से बेहद शांत माना जाता रहा है. बीते दिनों जब आतंकवाद चरम पर था तब भी घाटी की तुलना में जम्मू में आतंकी वारदातें कम ही होती थीं. लेकिन करीब 3-4 महीनों में ये ट्रेंड बदल गया है. हाल के दिनों में कश्मीर से ज्यादा जम्मू के इलाकों में आतंकी हमले हो रहे हैं.
माना जा रहा है कि आतंकी संगठनों ने अब अपनी रणनीति बदल दी है, यही वजह है कि जम्मू के इलाकों में अचानक आतंकी हमले बढ़ गए हैं. जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद के मुताबिक जम्मू का इलाका आतंकियों के लिए मुफीद है, इस इलाके में पहाड़ और घने जंगल हैं, साथ ही रोड कनेक्टिविटी उतनी बेहतर नहीं है.
2019 में आर्टिकल 370 हटने के बाद से कश्मीर में सुरक्षाबलों की इंटेलिजेंस नेटवर्किंग पहले से मजबूत हुई है. साथ ही घाटी में सेना ने टेरर मॉड्यूल को लगभग पूरी तरह से नेस्तोनाबूद कर दिया है जिसकी वजह से अब कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम देना मुश्किल साबित हो रहा है. लिहाजा आतंकियों ने अब अपना ध्यान जम्मू में केंद्रित कर लिया है. बीते कुछ महीनों से जम्मू में हो रहे आतंकी हमलों, उनके पैटर्न और टाइमिंग पर गौर करेंगे तो ये सब एक बड़ी साज़िश को उजागर करते हैं.
जम्मू में आतंकी हमलों की 3 बड़ी वजह
पहली वजह- निशाने पर हिंदू बहुल इलाका
जम्मू-कश्मीर में आतंकी अब हिंदू बहुल इलाकों को टारगेट कर रहे हैं. 2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू की कुल आबादी करीब 15 लाख 30 हजार है और इसमें से 84 फीसदी हिंदू और 7 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. यानी आतंकी एक बार फिर 90 के दशक का दौर वापस लाने की साज़िश कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर की शांति और प्रगति पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को बिल्कुल रास नहीं आ रही.
दूसरी वजह- मोदी सरकार की वापसी से बौखलाहट
साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई. सरकार ने पूरी तरह से यह साफ कर दिया कि ‘टेररिज्म’ और ‘टॉक’ एक साथ नहीं हो सकती. यानी पाकिस्तान अगर ऐसे ही भारत विरोधी साजिशें करता रहा और आतंकियों को पनाह देता रहा तो उसके साथ किसी तरह की बातचीत नहीं होगी. केंद्र की कड़ी नीतियों का असर भी देखने को मिला. वहीं अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने पाकिस्तान को एक और झटका दिया. सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर कड़ा संदेश दिया. उधर आर्टिकल 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर के युवा केंद्र सरकार की योजनाओं से जुड़कर देश के संकल्पों को पूरा करने में अपना योगदान दे रहे हैं शायद यही वजह है जो आतंकी संगठनों की बौखलाहट बढ़ती जा रही है.
तीसरी वजह- जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव
आने वाले कुछ ही महीनों में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में भी जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बढ़-चढ़कर वोटिंग की, जिससे ये साफ होता है कि लोग जम्हूरियत के साथ हैं. जम्मू कश्मीर के लोग आतंकवाद के दिनों को पीछे छोड़कर विकास की राह में आगे बढ़ना चाहते हैं, साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी लोग ऐसी सरकार चुनेंगे जो उन्हें आतंकवाद से मुक्ति दिलाए और विकास का काम करे, ऐसे में इस तरह के हमले कर आतंकी संगठन लोगों को डराने और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं.
संदेह के घेरे में है चालबाज चीन
पाकिस्तान की हर नापाक चाल में पड़ोसी देश चीन उसका साथ देता है. वो कहते हैं दुश्मन का दुश्मन हमेशा दोस्त होता है, ठीक इसी थ्योरी पर पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की गाड़ी आगे चल रही है. पाकिस्तान एक ओर कश्मीर में आतंकवाद फैलाना चाहता है तो दूसरी ओर चीन की नज़र भारत के उन इलाकों पर हैं जो चीन की सीमा से लगते हैं. चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से दुनियाभर में बदनाम है, बावजूद इसके वो आए दिन कोई न कोई नई चाल चलता रहता है.
चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के ‘सबूत’
4 मई को जम्मू-कश्मीर के पुंछ इलाके में आतंकियों ने एयरफोर्स के काफिले पर हमला कर दिया. इस हमले में 5 जवान घायल हुए. सूत्रों के मुताबिक, पुंछ हमले की जांच में सामने आया है कि आतंकियों ने अमेरिकी M4 कार्बाइन और AK-47 बंदूक से जवानों पर फायरिंग की थी. इन बंदूकों में आतंकियों ने स्टील की गोलियों का इस्तेमाल किया. आमतौर पर ये गोलियां पीतल की होती हैं, लेकिन अब आतंकी हमलों के लिए स्टील की गोलियां इस्तेमाल कर रहे हैं. स्टील की बुलेट पीतल की गोलियों की तुलना में ज्यादा घातक होती हैं, ये गोलियां बुलेटप्रूफ वाहनों को भी भेद सकती हैं.
आतंकी हमलों में इस्तेमाल होने वाली स्टील की बुलेट्स ही चीन की साजिश की ओर इशारा करती हैं. जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने जानकारी दी है कि स्टील की बुलेट्स का उत्पादन चीन में ही होता है. बताया जाता है कि चीन इन बुलेट्स को पाकिस्तान भेजता है. इसके बाद पाकिस्तान की सेना जो हमेशा से ही आतंकियों की मददगार रही है वो इन गोलियों को आतंकियों तक पहुंचाती है.
पूर्व DGP एसपी वैद बताते हैं कि पाकिस्तान की सेना और ISI चाहते हैं कि लद्दाख में इंडो-चाइना बाॉर्डर और कश्मीर में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती से जो प्रेशर बना है, उसे शिफ्ट किया जाए. जिसके चलते अब जम्मू के इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है. क्योंकि अगर जम्मू में लगातार इस तरह के हालात बने रहते हैं तो जम्मू में भी अतिरिक्त फोर्स की तैनाती करनी पड़ेगी, जिसके लिए पूरी संभावना है कि लद्दाख में चीन बॉर्डर और कश्मीर के इलाकों से ही फोर्स लाई जाए.