पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में 17 जून को बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था. यहां रंगापानी स्टेशन के पास कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन में एक मालगाड़ी ने जोरदार टक्कर मार दी थी. इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे. अब ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है. इस रिपोर्ट में तकनीकी और मानवीय भूल दोनों की बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ सिग्नल के बल्ब फ्यूज हो गए थे.
लाइटनिंग के कारण रंगापानी और चटेर हॉट रेलवे स्टेशन के बीच के Relay hut के कुछ सर्किट्स और फ्यूज में शॉर्ट सर्किट हो गया था. इसके चलते कुछ सिग्नल रेड हो गए थे. ऐसी स्थिति होने पर स्टेशन स्टॉफ, लोको पायलट और गार्ड को कुछ कागज पर लिखित आदेश मिलता है, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ था.
कहां हुई चूक?
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के ड्राइवर ने रेलवे के नियमों के मुताबिक ट्रेन को चलाया. उसने हर लाल बत्ती पर ट्रेन को रोका. लेकिन मालगाड़ी के लोको पायलट को संबंधित अथॉरिटी ने नियमों को ठीक तरीके से नहीं बताया था.
रेलवे का ऐलान
इस हादसे से सबक लेते हुए रेलवे ने फैसला किया है कि ऑथोरिटी फॉर्म को बदला जाएगा, जिससे गलत मैसेज जाने की संभावना ना रहे. लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट के ट्रेनिंग को और बेहतर किया जा रहा है. अलग-अलग जोन के ऑथोरिटी फॉर्म को बेहतर किया जाएगा, जिससे देश भर में लोको पायलट एक ही फॉर्म दिया जाए. सिग्नल वाले उपकरणों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए RDSO की अध्यक्षता में जोन्स के साथ मिलकर एक्शन प्लान बनाया जा रहा है.
तीन बोगियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं
इस हादसे में मालगाड़ी के लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड की भी मौत हो गई थी. यह हादसा सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर हुआ. तेज रफ्तार मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को जोरदार टक्कर मार दी थी. हादसे में एक्सप्रेस ट्रेन की तीन बोगियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं. वहीं मालगाड़ी का इंजन को भी काफी नुकसान पहुंचा था.