उत्तर प्रदेश में कांवड़ वाले रूट पर दुकानों-ढाबों और ठेलों के सामने नाम लिखने वाले फैसले को लेकर सियासत तेज हो गई है. अब इस मुद्दे पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा हमला बोला है. उन्होंने सरकार के फैसले को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि राज्य की योगी सरकार राज्य को धर्म के आधार पर बांट रही है. जहां बीजेपी को फायदा होता है वहां वो आस्था को भूल जाती है. कांवड़ यात्रा से तो नहीं हो रही है, यह सालों से चल रही है. सरकार की ओर से जानबूझकर मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है. ये तो पूरी तरह से संविधान की धज्जियां उड़ाने जैसा है.
कोई आदमी अपना कारोबार कर रहा है. अमरनाथ में पूजा का सामान बेचने वाले और घोड़े वाले मुसलमान होते हैं. ये बीजेपी की नफरत की राजनीति है. नाम रखने में गलती क्या है. अगर वो खाना गलत दे रहा है तो उस पर एक्शन हो सकता है, लेकिन नाम रखने से दिक्कत क्यों है. क्या रही सबका साथ सबका विकास है. आखिर कहां गया बीजेपी का सबका साथ सबका विकास वाला नारा. आप केवल एक त्योहार के लिए इस तरह की कदम उठा रहे हैं, जबकि देश में हर साल हाजरों त्योहार होते हैं.
फाइव स्टार होटलों को बोलकर देखे ये सरकार: ओवैसी
उन्होंने कहा कि क्या कांवड़ यात्रा में फाइव स्टार होटल नहीं आएंगे. केएफसी को जाकर ये सरकार बोलेगी क्या कि आप भी नाम लटकाओ? सरकार सिर्फ टारगेट करके चल रही है. संविधान एक मिनट के लिए भी सस्पेंड नहीं हो सकता है. 15 दिन की बात तो बहुत दूर हैं. आप तो संविधान की लाइन का उल्लंघन कर रहे हैं. सरकार के फैसले की वजह से कितने लोगों का रोजगार चला गया. ये सरकार केवल और केवल एक समुदाय को लेकर चल रही है. ऐसे में बाकी समुदाय के लोग कहां जाएंगे.
‘कई मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया गया’
औवैसी ने कहा कि आप क्यों ये बताना चाह रहे हैं कि सड़क किनारे किसकी दुकान है. फैसले के बाद से मुजफ्फरनगर में कई मुस्लिम कर्मचारियों को ढाबे से हटा दिया गया है. जहां पर बीजेपी को पैसे मिलते हैं वहां पर वो आस्था को भूल जाती है. इसका मतलब ये है कि ये सरकार नाकाम साबित हो रही है. आप कैसे किसी के लाइवलीहुड को छीन सकते हैं. लाइन ऑर्डर का अगर मसला हो रहा है तो वो सरकार की नाकामी से हो रहा है. ये नफरत की मिसाल की है. कांवड़ यात्रा पर एक समुदाय का अपाना विश्वास है. कई जगहों पर लोग कांवड़ यात्रियों की मदद करते हैं.
क्या है पूरा मामला?
यूपी में कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले मुजफ्फरनगर में एक फरमान जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि कांवड़ यात्रा रूट पर आने वाले दुकान, ढाबों और ठेलों पर साफतौर पर ये लिखा जाए कि ये दुकान किसकी है और यहां पर काम करने वाले लोग कौन-कौन हैं. इसके बाद यूपी सरकार की ओर से इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है. हालांकि, कुछ संगठनों और विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है.