कुछ समय पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक ट्रेडर उन्हें बता रहा था कि कैसे शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने वाले ब्रोकर्स से ज्यादा इनकम सरकार को हो रही है. वहीं आम आदमी को भी शेयर मार्केट में हुए कैपिटल गेन पर दो तरह से शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म टैक्स देना पड़ता है. अब हाल फिलहाल में इनकम टैक्स पोर्टल पर एक बड़ा अपडेट आया और कई टैक्सपेयर्स को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को लेकर नोटिस आने लगे. चलिए समझते हैं क्या है ये पूरा मामला और क्या बजट में इससे राहत मिल सकती है?
इनकम टैक्स पोर्टल पर 5 जुलाई को एक यूटिलिटी फाइलिंग में एक अपडेट हुआ. इसके बाद टैक्सपेयर्स को आयकर कानून की धारा 87A के तहत शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाली टैक्स रिबेट को क्लेम करने में दिक्कत आने लगी. ये टैक्स रिबेट 25,000 रुपए तक की थी. इस टैक्स रिबेट का फायदा न्यू टैक्स रिजीम में भी मिल रहा था.
क्या होती है इनकम टैक्स रिबेट?
आयकर कानून की धारा 87A में इनकम टैक्स रिबेट का प्रावधान कम आय वालों को देने के लिए किया गया है. ये उनके आयकर बोझ को कम करने का काम करता है, साथ ही ये भी सुनिश्चित करता है कि वह अपना आईटीआर जरूर फाइल करें, ताकि वह सरकार के टैक्स नेट में आ सकें.
आम बजट 2023 में सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में स्विच करने वाले टैक्सपेयर्स को एक फायदा दिया. इस रिजीम में टैक्स स्लैब तो 3 लाख तक शून्य टैक्स, 3 से 6 लाख रुपए तक 5 प्रतिशत टैक्स और 6 से 9 लाख रुपए तक 10 प्रतिशत टैक्स की ही बनाई गईं, लेकिन यदि टैक्स पेयर्स की इनकम 7 लाख रुपए से कम रहती है, तो उसे धारा 87A के तहत 25,000 रुपए तक की टैक्स रिबेट दे दी गई.
ये ठीक वैसे ही है, जैसा सरकार ने ओल्ड टैक्स रिजीम में किया है. पुरानी व्यवस्था में भी टैक्स फ्री इनकम की लिमिट 2.5 लाख रुपए है, लेकिन सरकार 5 लाख रुपए तक इनकम पर बनने वाले टैक्स पर रिबेट दे देती है.
क्या हुआ टैक्सेबल इनकम में बदलाव?
अब इस पूरी व्यवस्था में परेशानी तब सामने आई, जब 5 जुलाई के बाद कई टैक्सपेयर्स ने उन्हें न्यू टैक्स रिजीम में मिलने वाली टैक्स रिबेट को क्लेम करने में आ रही दिक्कतों के बारे में सोशल मीडिया वगैरह पर लिखना शुरू किया. मनी कंट्रोल और ईटी की खबर के मुताबिक 5 जुलाई से पहले तक जब कोई टैक्सपेयर न्यू टैक्स रिजीम में अपनी टोटल टैक्सेबल इनकम कैलकुलेट कर रहा था, तब उसकी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन इनकम भी कुल टैक्सेबल इनकम में शामिल हो रही थी और अगर ये 7 लाख रुपए से कम थी, तो उसे टैक्स रिबेट का फायदा मिल रहा था.
अब हो ये रहा है कि भले किसी टैक्सपेयर की टोटल टैक्सेबल इनकम 7 लाख रुपए से कम है, तो उसे अपनी सिर्फ मूल आय पर ही आयकर छूट का फायदा मिल रहा है. शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन या किसी अन्य स्पेशल टैक्स कैटेगरी में आने वाली इनकम टोटल टैक्सेबल इनकम में शामिल नहीं हो रही और उस पर जो आयकर बनता है, उसे टैक्स रिबेट के बदले खत्म नहीं किया जा पा रहा है.
क्या बजट में निकलेगा समाधान?
इस बार मोदी 3.0 का ये पहला बजट होने वाला है, जो कई मायनों में खास है. इसकी वजह अलग-अलग सेक्टर से लेकर कई इकोनॉमी एक्सपर्ट ने सरकार को जनता पर टैक्स का बोझ घटाने और मार्केट में डिमांड बढ़ाने के लिए कहा है. वहीं आने वाले समय में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार के मिडिल क्लास को राहत देने की उम्मीद है. ऐसे में पूरी संभावना है कि सरकार न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स छूट लिमिट या रिबेट के दायरे को बढ़ा दे.