महाराष्ट्र में सियासी हलचल के बीच बड़ा दावा…अजित पवार को फंसाने को लेकर अनिल देशमुख को किसने भेजा था हलफनामा?
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव के एक दावे से महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर भूचाल आ सकता है. श्याम मानव ने कहा है कि, “इससे राज्य की राजनीति में हलचल पैदा हो रही है. उनके दावे के मुताबिक अजित पवार, उद्धव ठाकरे, अनिल परब और आदित्य ठाकरे को झूठे मामले में जेल भेजा जाना था. लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इनकार कर दिया जिसके चलते उन्हें खुद जेल में तेरह महीने बिताने पड़े. इस बीच एनसीपी के शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख ने कहा है कि श्याम मानव का दावा सही है.
श्याम मानव ने क्या दावा किया?
श्याम मानव ने मीडिया को बताया है कि उन्होंने अनिल देशमुख को ईडी की कार्रवाई से बचाने के लिए ऑफर किया था। लेकिन अनिल देशमुख ने इस ऑफर को ठुकरा दिया। उन्होंने इस संबंध में एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। नतीजतन, उन्हें 13 महीने की जेल हुई थी। श्याम मानव ने दावा किया है कि एक नेता ने अनिल देशमुख को चार हलफनामे भेजे. उन्हें बताया गया कि अगर आप चारों हलफनामों पर हस्ताक्षर करते हैं तो आपको ईडी की जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपको जेल जाने की जरूरत नहीं है. लेकिन अनिल देशमुख ने इन हलफनामों पर हस्ताक्षर नहीं किया. अगर देशमुख इन हलफनामों में हस्ताक्षर कर देते तो अजित पवार, उद्धव ठाकरे, अनिल परब और आदित्य ठाकरे को झूठे मामले में जेल भेज दिया जाता.
जिन 4 हलफनामों का जिक्र उनमें क्या था?
श्याम मानव ने कहा कि सत्ता में आते ही साजिश करने वालों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए लेकिन इन लोगों को पहचाना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्या संजय राउत के बारे में कुछ साबित हुआ है? उन चार हलफनामों में क्या था इसके बारे में श्याम मानव ने दावा किया है कि पहला हलफनामा उद्धव ठाकरे को लेकर था, जो उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थी, हलफनामे में लिखा था कि उद्धव ने मातोश्री पर अनिल देशमुख को बुलाया और उन्हें पैसे इकट्ठा करने के लिए कहा. दूसरा हलफनामा यह था कि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के बेटे दिशा सालियान को प्रताड़ित किया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
तीसरा हलफनामा अनिल परब के बारे में था, उन्हें कुछ अवैध निर्माणों के बारे में एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने को कहा गया था. इसके अलावा चौथे हलफनामे में अजित पवार का जिक्र था. हलफनामे के अनुसार अजित पवार ने अनिल देशमुख को देवगिरी बंगले पर बुलाया और इस दौरान अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भी मौजूद थे. इस दौरान अजित पवार ने अनिल देशमुख को गुटखा कारोबारियों से पैसा इकट्ठा करने को कहा था. काफी सोचने के बाद अनिल देशमुख ने हलफनामे में दस्तखत नहीं किए. इसके बाद उन्होंने 13 महीने जेल में बिताने पड़े.