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सोना, ETF या गोल्ड बॉन्ड… बेहतर रिटर्न के लिए किसमें करना चाहिए निवेश, यहां समझें पूरी गणित

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भारत में कुछ लोग सोने को बड़ा भाई तो कई इसे मुसीबत का साथी मानते हैं. इसके पीछे उनका लॉजिक यह होता है कि सोना मंदी हो या महंगाई हर समय मजबूती से खड़ा रहता है. पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में जोरदार उछाल देखा गया था. अब सरकार के एक फैसले से इसकी कीमत में बड़ी गिरावट आई है.

बजट में सरकार ने आयात पर लगने वाला टैक्स यानी सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है. भारत आज भी दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड कंज्यूमर में से एक है. भारत में सोने का उत्पादन नहीं होता है और इसका लगभग पूरा ट्रेड इंपोर्ट पर डिपेंड है. अब ऐसे में कई लोग इस कंफ्यूजन में है कि इस मौके का फायदा उठाने के लिए गोल्ड के किस रूप में निवेश करना चाहिए. यानी फिजिकल गोल्ड, ईटीएफ या फिर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए. आज की स्टोरी में हम इसी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.

ईटीएफ भी है एक ऑप्शन

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अगर आप सोने में कम समय के लिए यानी शॉर्ट-टर्म के हिसाब से निवेश करना चाहते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है. इसमें निवेशक को अपनी इच्छा के अनुसार पैसा निकालने की अनुमति होती है. आप अपनी मर्जी से इसे खरीद—बेच सकते हैं. गोल्ड ईटीएफ में फिजिकल गोल्ड यानी सोने के गहनों के मुकाबले पर्चेजिंग चार्ज कम लगता है. इसके अलावा इसमें 100 फीसदी शुद्धता की गारंटी मिलती है. इसमें SIP के जरिए निवेश का भी ऑप्शन होता है. गोल्ड ETF का इस्तेमाल लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी किया जा सकता है.

फिजिकल गोल्ड कितना फायदेमंद

रही बात फिजिकल गोल्ड की तो इसकी कीमत भी बिलकुल वैसी ही होती है, जैसे डिजिटल गोल्ड की होती है. बस इसमें दो बात का जोखिम होता है. पहला कि अगर आपके घर में कमजोर तिजोरी है तो उसके चोरी होने का खतरा होता है, जबकि ईटीएफ, बॉन्ड या फिर डिजिटल गोल्ड में यह खतरा नहीं होता है. दूसरा जोखिम दुकान से खरीदते वक्त कैरेट में धोखा खा जाने का होता है. अगर आपको सोने की समझ नहीं है तो हो सकता है दुकानदार आपको नकली या कम कैरेट वाला सोना अधिक कैरेट का बताकर बेच दे.

लॉन्ग टर्म के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेस्ट

मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड मध्यम और लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बेहतर ऑप्शन होता है. हालांकि इसमें 8 साल का लॉक इन पीरियड होता है यानी इससे पहले आप इससे पैसा नहीं निकाल सकते हैं. मगर लॉक इन पीरियड के बाद मैच्योरिटी पर इनकम टैक्स छूट के साथ 2.5% का सुनिश्चित रिटर्न मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को रुपयों से भी खरीदा जा सकता है और गोल्ड के विभिन्न ग्रामों में मूल्यांकित किया जाता है. बॉन्ड में न्यूनतम निवेश 1 ग्राम से किया जाएगा, जबकि एक व्यक्ति के लिए निवेश की ऊपरी सीमा 4 किलोग्राम पर तय (कैप) की गई है. बता दें कि ये स्कीम भारत सरकार की ओर से शुरू की गई थी.

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