दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे AAP नेता की जमानत पर सुनवाई अगले एक हफ्ते के लिए बढ़ा दी है. शीर्ष अदालत अब 12 अगस्त इस मामले में सुनवाई करेगा.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में सुनवाई की. सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से आग्रह किया कि जब तक उनकी नियमित जमानत पर कोर्ट फैसला नहीं करती है तब तक के लिए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी जाए है. वहीं, ED की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने दलील देते हुए कहा कि ED के मामले में उनकी यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. AAP नेता ने गोवा चुनाव के लिए रिश्वत की मांग की थी. हमारे पास डिजिटल सबूत मौजूद हैं.
क्या दस्तावेज मांग कर मैं सुनवाई में देरी कर रहा हूं?- सिंघवी
मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में जांच एजेंसी ट्रायल में देरी कर रही है. इस मामले को लंबा खींचने की कोशिश है. जबकि इस मामले में अभी तक निचली अदालत में ट्रायल शुरू भी नहीं हो पाया है. सिंघवी ने दलील देते हुए कहा कि मेरे 90 प्रतिशत आवेदन स्वीकार कर लिए गए. क्या दस्तावेज मांग कर मैं सुनवाई में देरी कर रहा हूं? दरअसल देरी इसलिए हुई क्योंकि मुझे शुरू में दस्तावेज नहीं दिए गए.
उन्होंने कोर्ट में ED के द्वारा हाल ही में दाखिल जवाबी हलफनामे का हवाला दिया. और बताया कि ED का कहना है कि अपराध की आय और विभिन्न व्यक्तियों की भूमिका का पता लगाने के लिए आगे की जांच अभी भी जारी ही है. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में 162 गवाहों का हवाला दिया और 25 हजार पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए. साथ ही इस साल जुलाई में 40 लोगों को आरोपी बनाया गया.
‘उनकी पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जमानत दे दी जाए’
सिंघवी ने कहा कि वहीं, CBI ने 294 गवाहों का हवाला दिया और 31 हजार पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एजेंसी ने दस्तावेजों को अप्रमाणित दस्तावेजों में डालकर छुपाया भी है. इसके साथ ही उन्होंने फैसला आने तक कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें अंतरिम जमानत दे दी जाए. इसके लिए सिंघवी ने दलील देते हुए कहा मनीष की पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है.
दरअसल, सिसोदिया ने CBI और ED दोनों जांच एजेंसियों की ओर से दर्ज मामले में जमानत की मांग की है. क्योंकि निचली अदालत और हाईकोर्ट उनकी जमानत याचिका को खारिज कर चुका है. सिसोदिया की जमानत याचिका पर ED की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने दलील देते हुए कहा कि ED के मामले में उनकी यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इन्हें ट्रायल कोर्ट में जाना होगा.
हमने 45 करोड़ रुपए का पता लगा लिया है- ED
ASG राजू ने कहा कि इन लोगों का मकसद एक्साइज टैक्स के जरिए पैसा कमाना था. इन्होंने इस मुद्दे पर विचार करने के लिए राजीव धवन की विशेषज्ञ समिति गठित की. जिसने कहा कि अगर सरकारी कंपनियों को थोक विक्रेता बना दिया गया तो उनका उद्देश्य विफल हो जाएगा क्योंकि उस वक़्त डिस्ट्रीब्यूटर को पांच फीसदी का कमीशन मिल रहा था.
उन्होंने कहा कि इसके लिए सिसोदिया ने मेल तैयार किया. वहीं, विजय नायर जो AAP का मीडिया सलाहकार था, वह अन्य व्यापारियों से बातचीत कर रहा था. वह शराब के कारोबारियों से मिला. उनसे कारोबारियों से बात की. उसका हमारे पास सबूत भी हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि गोवा चुनाव के लिए 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी गई थी. हमने 45 करोड़ रुपए का पता लगा लिया है. हमारे पास डिजिटल सबूत मौजूद हैं.
हमने किसी निर्दोष को नहीं पकड़ा है- ASG राजू
राजू ने कहा कि इस डील में हमने ये भी पाया है कि पहले मार्जिन पांच प्रतिशत ही था. इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया जबकि ऐसा करने के लिए बैठकें होनी चाहिए. लेकिन कुछ नहीं हुआ सब कुछ बिना विचार-विमर्श के सिसोदिया की टेबल पर ही कर लिए जाता है. इन्होंने थोक विक्रेता लाइसेंस शुल्क बढ़ाकर पांच करोड़ कर दिया. यह बहुत ही चतुराई और गुप्त तरीके से किया गया.
उन्होंने कहा कि यह कोई सरल नीतिगत निर्णय नहीं था. इसके अलग-अलग पहलुओं पर कोई बात नहीं हुई. इसके लिए हमारे पास व्हाट्सएप चैट और कई चीजें मौजूद है. यहां तक कि इसके लिए किया गया मंत्रियों के समूह का गठन भी दिखावा ही था. इसके अलावा मेरे पास इस पॉलिसी में गहरे साजिश को दर्शाने वाले दस्तावेज भी हैं. हमसे किसी निर्दोष व्यक्ति नहीं पकड़ा गया.
‘यह सैकड़ों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं’
ASG ने कोर्ट कहा कि सिसोदिया के पास कुल 18 विभाग थे. अब उनके वकील कहते हैं कि उनकी पत्नी बीमार हैं. हां इसके लिए हम उन्हें तीन दिन का समय देने को तैयार हूं लेकिन यहां सवाल यह भी है कि जब आप 18 मंत्रालयों के लिए काम कर रहे थे तो उस समय यह (बीमारी) सब सामने नहीं आता. वहीं, ED मामले का सवाल है AAP पार्टी के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मामला जमानत देने के योग्य नहीं हैं. यहां कोर्ट ने PMLA की धारा 45 को भी देखा गया.
ASG ने कोर्ट को बताया कि आप सिर्फ़ संदेह के आधार पर IPC के तहत गिरफ्तारी कर सकते हैं. फिर आरोप के लिए गंभीर संदेह ही काफी है. इसपर जस्टिस केवी विश्वनाथन ने पूछा कि इस मामले में न्यूनतम सजा कितनी है?. ASG ने जवाब देते हुए कहा तीन साल है लेकिन कुछ प्रावधानों में पांच साल की न्यूनतम सजा है. उन्होंने कहा यह सैकड़ों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. एक पार्टी जो भ्रष्टाचार विरोध के आधार पर सत्ता में आई है और इन दिनों पार्टी में बड़ी संख्या में नेता भी इसमें शामिल हैं.
‘ये लोग निचली अदालत में आरोप तय नहीं होने दे रहे’
ASG ने कहा मामले में आरोपी प्रभावशाली हैं वह सबूतों से छेड़छाड़ करने में सक्षम हैं. अगर PMLA की धारा 45 भी लागू होती है, तो यह जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है. इनके वकील कह रहे हैं कि जांच पूरी नहीं हुई है. लेकिन जहां तक सिसोदिया का सवाल है उनको लेकर कि जा रही जांच पूरी हो चुकी है. अन्य सामग्री एकत्र की जानी है.
उन्होंने कहा कि मुकदमा शुरू होने का जांच पूरी होने से कोई लेना-देना नहीं है. हमने समय नहीं मांगा. ASG ने कहा कि ये लोग निचली अदालत में आरोप तय नहीं होने दे रहे हैं. इनकी तरफ से बार-बार फाइल इंस्पेक्शन के लिए अर्जी दाखिल करते हैं. लेकिन महीनों तक इंस्पेक्शन नहीं करते. हम आगे शिकायत दर्ज कर सकते है क्योंकि तीन-चार मामलों में आगे की जांच की आवश्यकता हो सकती है.