भारत को फेस्टिवल का देश कहा जाता है. उसमें भी साल के आखिरी के कुछ महीने में देश में एक के बाद एक कई त्योहार पड़ते हैं, जिसे सेलिब्रेट करने से इकोनॉमी को भी बूस्ट मिलता है. 19 अगस्त को रक्षाबंधन है. देश भर के व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि इस वर्ष राखी के त्यौहार पर देश भर में 12 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का त्यौहारी व्यापार होने की उम्मीद है. बाजारों में राखी की खरीददारी की ज़बरदस्त भीड़ देखी जा रही है और लोगों में त्यौहार के प्रति बहुत उत्साह भी है. पिछले कई वर्षों से देश में स्वदेशी राखियां ही बिक रही हैं और इस वर्ष भी चीन की बनी राखियों की न तो कोई मांग है और ना ही वह बाजार में दिखाई दे रही हैं.
कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष तथा उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि 19 अगस्त को दोपहर 1.30 मिनट तक भद्रा काल है, जिसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है, इसलिए देश भर में रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार दोपहर 1.31 मिनट से ही मनाया जाएगा. कैट ने इस तरह की एडवाइजरी आज देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है और कहा है कि सभी व्यापारी शुभ समय में ही रक्षा बंधन का पर्व मनाएं.
किस वर्ष कितने करोड़ का हुआ कारोबार?
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि जिस प्रकार से पिछले दिनों में राखियों की मांग में वृद्धि हुई है. उसको देखते हुए इस वर्ष 12 हजार करोड़ रुपए के राखी त्यौहार पर व्यापार होने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष यह व्यापार लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपए का था.
- वर्ष 2022 में 7 हजार करोड़ रुपए
- वर्ष 2021 में 6 हजार करोड़ रुपए
- वर्ष 2020 में 5 हज़ार करोड़ रुपए
- वर्ष 2019 में 3500 करोड़ रुपए
- वर्ष 2018 में 3 हजार करोड़ रुपए
मुंबई की रेशम राखी है फेमस
खंडेलवाल एवं कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने बताया कि इस वर्ष राखियों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां भी बनाई गईं है, जिनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी,असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता में जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं जिनकी माँग बहुत अधिक है. इसके अलावा डिज़ाइनर राखियों तथा चांदी की राखियां भी बाज़ार में खूब बिक रही है.
वह आगे कहते हैं कि 19 अगस्त, रक्षा बंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक त्योहारी सीजन रहेगा. इस दौरान सामानों की बिक्री के माध्यम से देश के बाजारों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपए से अधिक की त्यौहारों की बिक्री होने की उम्मीद है जो मूल रूप से भारतीय वस्तुओं की ख़रीदी से ही होगी.