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दलितों में पासी वोटों पर ही सपा और कांग्रेस क्यों लगा रहीं जोर, क्या है यूपी में Pasi Politics?

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों को छोड़कर मंगलवार को अर्जुन पासी के घर पहुंच गए. रायबरेली के नसीराबाद क्षेत्र में पिछवरिया गांव में अर्जुन पासी की पिछले दिनों हत्या कर दी गई थी. राहुल ने बारिश की परवाह किए बगैर उनके परिवार से मुलाकात की और कहा कि यहां मैं एक दलित परिवार को न्याय दिलाने आया हूं.

अर्जुन पासी के परिवार को न्याय का भरोसा दिलाकर राहुल गांधी ने कांग्रेस के गढ़ रायबरेली और अमेठी के सियासी समीकरण को ही साधने का दांव नहीं चला बल्कि उत्तर प्रदेश में पासी समुदाय के विश्वास को जीतने का दांव भी माना जा रहा है.

गांव में विवाद के बाद हुआ मर्डर

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रायबरेली के नसीराबाद क्षेत्र के पिछवारिया गांव में अर्जुन पासी और गांव के ही नवीन सिंह के बीच विवाद हो गया था. 11 अगस्त को अर्जुन पासी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसमें सात लोगों के नामजद और पांच अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी. पुलिस ने 13 अगस्त को छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया, लेकिन सातवें आरोपी विशाल सिंह अभी भी फरार है. अर्जुन का परिवार विशाल की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है तो ठाकुर समुदाय के लोगों का कहना है कि विशाल को जबरन फंसाया जा रहा है.

राहुल गांधी ऐसे समय अर्जुन पासी के घर पहुंचे, जब करणी सेना खुलकर ओरोपियों के पक्ष में उतर आई है. करणी सेना के उतरने से प्रकरण ने अब सियासी रंग ले लिया और अर्जुन पासी की हत्या अब पासी बनाम ठाकुर होता दिख रहा है. ऐसे में राहुल गांधी ने तेज बारिश के बीच अर्जुन के परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने अर्जुन की मां से बात कर मामले को समझने की कोशिश की. उन्होंने परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और हर संभव मदद का भरोसा भी दिया.

राहुल का DM-SP को एक्शन लेने का निर्देश

अर्जुन पासी के परिवार से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, “मैं एक दलित परिवार को न्याय दिलाने आया हूं. मैं यहां दलितों की रक्षा करने आया हूं और उनकी बात रखने आया हूं.” कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ग्रामीणों से भी मुलाकात की और घटना को लेकर चर्चा की. राहुल ने अर्जुन के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में मदद और हत्यारोपियों को सजा दिलाने का भरोसा दिलाया. इसके बाद राहुल ने रायबरेली की डीएम हर्षिता माथुर और एसपी अभिषेक अग्रवाल से फोन पर बात की और हत्या के मामले में मुलाकात करने को कहा. इस पर डीएम और एसपी दोनों फुरसतगंज पहुंचे जहां पर राहुल ने सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा. कांग्रेस नेता ने कहा कि परिवार को न्याय मिले और उससे कोई समझौता नहीं होगा.

जाति आधारित गोलबंदी के जरिए सियासत

लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश पर खास फोकस कर रही है. रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद राहुल गांधी लगातार अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश का यह उनका पांचवां दौरा रहा. एक दशक के बाद दिल्ली की सियासत में कांग्रेस की ताकत बढ़ी है तो उत्तर प्रदेश में छह सीटों पर पार्टी को मिली जीत ने दोबारा से उभरने की उम्मीद जगा दी है. ऐसे में कांग्रेस ने 2027 की तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर दी है. राहुल ने अपने कोर वोटबैंक रहे अगड़ों की परवाह किए बिना 2024 चुनाव में पिछड़ा और दलित कार्ड खेला था, यह सियासी प्रयोग सफल भी रहा है.

कांग्रेस अब सामाजिक न्याय के एजेंडे के साथ ही जाति आधारित गोलबंदी कर सियासी बिसात बिछाने में जुटी है. पार्टी सूबे के दलितों में पासी समुदाय पर लगातार फोकस कर रही है. राहुल की मंगलवार को रायबरेली यात्रा भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव में मिले सियासी फायदा के चलते ही कांग्रेस दलितों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है. इसके तहत दलित संवाद और दलितों के साथ सहभोज के बाद कांग्रेस अब पासी समुदाय को साधने की जुगत में लगी है.

2024 के लोकसभा चुनाव में पासी समुदाय के वोटों ने ही बीजेपी का खेल बिगाड़ने में अहम रोल अदा किया है. पासी वोटों की बदौलत ही राहुल गांधी रायबरेली तो केएल शर्मा अमेठी से भारी मतों से जीतने में सफल रहे थे.

यूपी में फिर से खड़ा होने की कोशिश

राहुल गांधी रायबरेली लोकसभा क्षेत्र को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाकर उत्तर प्रदेश की सियासत में साढ़े तीन दशक से वेंटिलेटर पर पड़ी कांग्रेस को संजीवनी देने में जुट गए हैं. पासी समाज से आने वाले अर्जुन पासी की हत्या के मामले पर कांग्रेस आक्रामक दिख रही है. यह पूरा मामला पासी बनाम ठाकुर होता दिख रहा है. यही वजह है कि 18 अगस्त को पहले अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा की अगुवाई में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल अर्जुन पासी के घर पहुंचा और परिजनों से मिलकर उन्हें न्याय का भरोसा दिलाया था.

सांसद केएल शर्मा ने अर्जुन पासी के परिवार से जानकारी लेकर राहुल गांधी को रिपोर्ट दी थी. इसके बाद राहुल कल मंगलवार को रायबरेली पहुंचे और अर्जुन पासी के न्याय की लड़ाई लड़ने का भरोसा दिया कि मामले को सड़क से सदन तक उठाएंगे. कांग्रेस की रणनीति है कि अर्जुन पासी के मामले को लेकर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ बनाई जाए. पार्टी सूत्रों की माने तो रणनीति बनाई गई है कि दलितों से जुड़े मुद्दे पर होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भी अब अर्जुन पासी की हत्या का मुद्दा उठाया जाएगा.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने पिछले दिनों संविधान सभा के सदस्य और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ 1952 और 1957 में सांसद रहे लखनऊ के मसुरियादीन पासी की पुण्यतिथि मनाई थी. यही नहीं कांग्रेस से जुड़ रहे पासी समुदाय के दिग्गज नेताओं की जयंती और पुण्यतिथि मनाने का भी प्लान बनाया गया, जिसके जरिए पार्टी फिर से पासी समाज के वोटों को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की है.

पासी समाज की यूपी में अहम स्थिति

उत्तर प्रदेश में पासी समुदाय दलितों में जाटव के बाद दूसरे नंबर पर पासी जाति आती है, जो खासकर सेंट्रल यूपी में सियासी तौर पर काफी प्रभावी मानी जाती है. यह बिरादरी सीतापुर, रायबरेली, बाराबंकी, अमेठी, कौशांबी, प्रतापगढ़, लखनऊ देहात, फतेहपुर, उन्नाव, हरदोई, बस्ती और गोंडा जैसे जिले में प्रभावी है. राज्य में भले ही तीन फीसदी के करीब पासी समुदाय हों, लेकिन दलित समुदाय में 16 फीसदी उनकी हिस्सेदारी है.

पासी समुदाय के लोग अवध के क्षेत्र में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं. यूपी में इस बार 8 पासी समुदाय के सांसद चुने गए हैं. पासी समाज के लोगों का दावा है कि सूबे की 403 विधानसभा सीटों में से 103 सीटों पर उनका प्रभाव है, जिसमें 70 विधानसभा सीटों पर निर्याणक भूमिका अदा करते हैं. इसीलिए कांग्रेस अर्जुन पासी के पक्ष में खुलकर उतरकर रायबरेली और अमेठी ही नहीं बल्कि सूबे में दलित के बड़े वोटबैंक को अपने पाले में करने की स्टैटेजी है.

रायबरेली और अमेठी दोनों ही लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में पासी मतदाता हैं, जो सियासी तौर पर काफी अहम माने जाते हैं. पासी समुदाय के लोग कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं. राहुल गांधी की रायबरेली और किशोरी लाल शर्मा के अमेठी में मिली जीत में पासी समाज महत्वपूर्ण भूमिका थी. राहुल गांधी किसी भी सूरत में पासी समुदाय के लोगों को नाराज नहीं करना चाहते. इसीलिए अर्जुन पासी की हत्या के बाद कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को भेजा और अब खुद भी पीड़ित परिवार से मिलकर उनके जख्मों पर मरहम लगाने के साथ-साथ इंसाफ की गुहार लगाई है. कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी के साथ यूपी के पासी वोटरों को साधने के लिए हरसंभव कोशिश में है.

कांग्रेस की तरह सपा की भी नजर

वहीं, सपा की नजर भी पासी वोटरों पर है, जिसके चलते अयोध्या से सांसद बने अवधेश प्रसाद को पासी चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है. अवधेश प्रसाद ने भी लोकसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेते हुए जिस तरह से पासी समाज के उदा देवी और महाराजा बिजली पासी का उल्लेख किया. इसके अलावा 17 अगस्त को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोहनलालगंज से सांसद आरके चौधरी की अगुवाई में 11 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल अर्जुन पासी के घर भेजा था. आरके चौधरी भी पासी समुदाय से आते हैं और अवध क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है. इसके अलावा इंद्रजीत सरोज को भी सपा राष्ट्रीय महासचिव बना रखा है, जो पासी समुदाय से आते हैं. फूलपुर उपचुनाव की कमान उन्हें सौंप रखी है.

अर्जुन पासी के समर्थन में जिस तरह राहुल गांधी से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव उतरे हैं, उसके सियासी मायने बेहद साफ हैं. सपा और कांग्रेस दोनों ही दलितों में पासी वोट को साधने के लिए ही मशक्कत कर रही है. सूबे में दलित आबादी 22 फीसदी के करीब है. यह दलित वोटबैंक जाटव और गैर-जाटव के बीच बंटा हुआ है. 22 फीसदी कुल दलित समुदाय में सबसे बड़ी संख्या 12 फीसदी जाटव और 10 फीसदी गैर-जाटव दलित है.

टारगेट पर 2027 का विधानसभा चुनाव

दलित सियासत में जाटव समुदाय ही प्रमुख रूप से हावी रहा है. मायावती और चंद्रशेखर दोनों ही जाटव समुदाय से आते हैं. जाटव समुदाय अभी भी बसपा का कोर वोटबैंक माना जाता है. इसीलिए सपा और कांग्रेस दोनों ही गैर-जाटव दलितों को साधने की कवायद में है. कांग्रेस और सपा दोनों ही दलों का टारगेट 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव है.

लोकसभा चुनावों में संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर दलित और पिछड़ा वर्ग के आए वोटबैंक को जोड़ने रखने का प्लान है. इसीलिए अब वह इसी तबके के वोटरों को सहेजने में ही अपने लिए भविष्य देख रही है. कांग्रेस मान रही है कि अगर उसके पास दलित और पिछड़े वोटर आते हैं, तो यह यूपी की राजनीति में कांग्रेस की सियासी जड़ें फिर से मजबूत हो सकती हैं.

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