कंगना को जबलपुर हाईकोर्ट के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट से भी झटका, 6 सितंबर को रिलीज नहीं होगी फिल्म ‘इमरजेंसी’
बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी की सांसद कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ इन दिनों सुर्खियों में बुनी हुई है. फिल्म को लेकर जमकर बवाल हो रहा है. इस बीच ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने फिल्म के लिए सेंसर सर्टिफिकेट की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था. ताकि इसे 6 सितंबर को रिलीज करने पर फैसला लिया जा सके. वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म को सीबीएफसी सर्टिफिकेट देने वाली याचिका पर सुनवाई करने में असमर्थता जताई है.
कोर्ट ने कहा की इतनी जल्दी इस मामले में आदेश नहीं पारित कर सकते, इस मामले में 18 सितंबर तक निर्णय लिया जाएगा. जिसके बाद कोर्ट में 19 सितंबर को इस मामले में सुनवाई होगी. इसके साथ ही कोर्ट ने CBFC को भी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि फिल्म में करोड़ों रुपए लगे होते हैं, गणपति उत्सव के नाम पर छुट्टी बताकर सीबीएफसी सर्टिफिकेट संबंधी विषय पर अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता.
दरअसल जी एंटरटेनमेंट इस मामले में याचिकाकर्ता है जो फिल्म में सहयोगी मेकर यानी की सह निर्माता के तौर पर जुड़ा है. इनकी तरफ से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता वेंकटेश धोंड पेश हुए. वहीं केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की ओर से अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ पेश हुए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया कि वो फिल्म के संबंध में पेश की गई आपत्तियों पर विचार करे और 18 सितंबर तक इसे प्रमाणपत्र जारी करे.
दो हफ्ते के लिए टली फिल्म की रिलीज
कोर्ट के इस आदेश के बाद फिल्म 6 सितंबर को रिलीज नहीं हो पाएगी. इसकी रिलीज दो हफ्ते के लिए टल गई है. ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज ने फिल्म को तय तारीख पर रिलीज करने मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें फिल्म इमरजेंसी के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. याचिका में कहा गया था कि सेंसर बोर्ड के पास प्रमाणपत्र तैयार है कि लेकिन वो कानून और व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका पर वह इसे जारी नहीं कर रहा.
CBFC को कोर्ट से फटकार
वहीं जस्टिस बी पी कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनावाला की बेंच ने निर्माता की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि प्रमाणपत्र तैयार है लेकिन जारी नहीं किया गया. बेंच ने कहा कि जब फिल्म के निर्माताओं को पहले ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया तो CBFC का ये तर्क सही नहीं है कि सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया क्योंकि उस पर अध्यक्ष के साइन नहीं थे.