त्रिपुरा में सिपाहीजला जिले में मंगलवार को मुख्यमंत्री माणिक साहा के सामने लगभग 400 उग्रावदी अपने हथियार डालेंगे. इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है. यह सभी उग्रवादी नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) के सदस्य हैं. गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि NLFT और ATTF के लगभग 400 उग्रवादी जम्पुइजाला में त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (TSR) की 7वीं बटालियन के हेडक्वार्टर में सीएम के सामने अपने हथियार डालेंगे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों गैरकानूनी समूहों के सभी नेता स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपने हथियार डाल देंगे.
उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र और राज्य सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद सरेंडर किया था. इसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा था, ‘भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के साथ त्रिपुरा ने शांति और समृद्धि की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है.’
35 साल से चल रहे उग्रवाद का अंत
इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा था कि यह त्रिपुरा में करीब 35 साल से चल रहे उग्रवाद का अंत है. उन्होंने इस समझौते को मील का पत्थर बताया और नार्थ-ईस्ट खासकर त्रिपुरा में शांति कायम करने में इसकी अहमियत पर जोर दिया था. इसमें NLFT और ATTF के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया. NLFT (BM) गुट के प्रमुख बिस्वा मोहन देबबर्मा और इसके उपाध्यक्ष उपेंद्र रियांग ने NLFT की ओर से हस्ताक्षर किए. ATTF के लिए अलींद्र रियांग ने साइन किए.
हजारों लोग बेघर
नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स इन दोनों समूहों ने 1990 के दशक के बाद से दो दशकों तक राज्य में कहर बरपाया था. विद्रोह की वजह से हजारों लोग, खासतौर पर गैर-आदिवासी लोग बेघर हुए. केंद्र ने दोनों संगठनों के उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए 250 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की घोषणा की है. दोनों ही संगठन काफी लंबे समय से त्रिपुरा में एक्टिव थे और अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे थे लेकिन अब दोनों ही संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ बातचीत का रास्ता चुना लिया है. इससे त्रिपुरा में शांति आएगी और साथ ही बाहरी ताकतों को भी कड़ा जवाब मिलेगा.