‘जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को कोई ना छुए… मेरी मजबूरी और यातनाओं की सारी कहानी 18 पन्नों के एक रेजिस्टर में लिखी है… उसे पढ़ लें…’
स्कूल का एक सामान्य दिन…बच्चे और सभी टीचर रोजमर्रा की तरह ही स्कूल आए थे. टाइम पर एसेंबली होनी थी फिर रोज की तरह की क्लासिस लगतीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जब टीचर प्रिंसिपल सर के केबिन में गए तो उनके होश फाख्ता रह गए. स्कूल के प्रिंसिपल चेम्बर में पंखे पर बंधे एक फंदे से प्रिंसिपल की लाश लटक रही थी. ये खौफनाक मंजर देखकर क्या बच्चे क्या टीचर हर कोई दंग रह गया. स्कूल के प्रिसिंपल को इस तरह से लटकता देखकर तुरंत पुलिस को बुलाया गया. मौके पर पुलिस पहुंची… जांच की और वहां से एक सुसाइड नोट मिला… जिसमें ये लाइन लिखीं थीं… और लिखा कि मुझे दी गई सारी यातनाओं की कहानी एक 18 पन्नों के रेजिस्टर में लिखी है… ये वाक्या है उत्तर प्रदेश के अमरोहा के कम्पॉजिट स्कूल की जिसके प्रिंसिपल ने स्कूल के अपने केबिन में फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया.
प्रिंसिपल संजीव गजरौला इलाके के सुल्तानठेर गांव में कम्पॉजिट स्कूल के प्रधानाचार्य थे. पुलिस ने साथी टीचरों से पूछताछ की तो पता चला कि संजीव का साथी टीचर से किसी बात को लेकर विवाद चल रहा था. संजीव के साथ कुछ ऐसा हो रहा था जिसके कारण वो इतना परेशान थे कि आखिर में उन्होंने मौत को गले लगाना बेहतर समझा. पुलिस ने शव को फंदे से उतारकर घरवालों को मामले की जानकारी दी तो वहां भी हड़कंप मच गया. स्कूल के आसपास लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. पुलिस ने आगे की जांच के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. इस मामले में जो सबसे बड़ा सबूत और सबसे पेचीदा बात है वो है संजीव कुमार का लिखा हुआ सुसाइड नोट.
संजीव ने सुसाइड नोट में क्या लिखा?
संजीव ने अपने सुसाइड नोट में लिखा की मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बीएसए मैडम से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं. राघवेंद्र और सरिता मेरे साथ गाली गलौज करते हैं, उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है. मैं उनकी दबंगई 2 अप्रैल 2019 से झेल रहा हूं. मैं इनकी जांच सीबीआई से करवाना चाहता हूं. उन्होंने आगे लिखा कि मेरी सभी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है की जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का ना हो क्योंकि उनकी दबंगई पूरे मंडल में चलती है. प्रताड़ना की सारी दास्तां सुसाइड रजिस्टर में लिखी है जो 18 पन्नों का है. जब तक डीएम साहिबा और बीएसए मैडम न आएं तब तक मेरी बॉडी को छूना नहीं. मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है. दोनों टैबलेट, नई वाली अलमारी में रखे हैं. परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना हैं वहीं सबसे सीनियर टीचर हैं.
परेशान करते थे टीचर दंपति
मिली जानकारी के मुताबिक, संजीव को स्कूल का टीचर राघवेंद्र और उसकी पत्नी सरिता बहुत परेशान करते थे. लोगों की मानें तो इन टीचर दंपती का पहले का भी काफी रिकॉर्ड रहा है. दोनों ही काफी दबंग किस्म के है और स्कूल में अपनी दबंगई और राजनीतिक पहुंच के कारण प्रिंसिपल के लिए परेशानी खड़ी करता था. लोगों का आरोप है कि राघवेंद्र असल में संजीव को उनके पद से हटवाना चाहता था जैसा उसने पहले भी कई प्रिसिंपल्स के साथ किया था. वो अपने पद से हट जाएं इसके लिए दोनों पति-पत्नी मिलकर संजीव को मानसिक रूप से परेशान करते थे और चाहते थे कि किसी भी तरह से वो अपना पद छोड़ दें या फिर उन्हें हटा दिया जाए. संजीव के बेटे के मुताबिक, टीचर दंपति और बीएसए मैडम के कारण उसके पिता काफी परेशान रहते थे.
झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश
ये भी बात सामने आई है कि राघवेंद्र ने प्रिंसिपल संजीव को झूठे आरोपों में भी फंसाने की कोशिश की थी. बीते दिनों स्कूल का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें बच्चे झाडु लगाते हुए दिख रहे थे. आरोप है कि ये वीडियो राघवेंद्र का ही एक सेटअप था ताकी प्रिसिंपल संजीव को फंसाया जा सके. उसने स्कूल के बच्चों को खुद खड़ा किया था और उनसे झाडु लगवाई और फिर पूरी घटना का वीडियो बना लिया जिससे पूरा दारोमदार स्कूल के प्रिंसिपल संजीव पर आ गया, जिसके बाद उनके पास नोटिस भी आया था जिससे वो काफी परेशान थे. मृतक के बेटे अनुज सिंह ने बताया कि स्कूल टीचर पिता को प्रताड़ित करते थे. हर रोज उनके साथ लड़ाई करते थे. बेटे ने आगे बताया कि पिता आज घर से 7 बजे ही निकल गए थे. उनको पिता की मौत की सूचना तब मिली जब दूसरे टीचरों ने पिता का शव लटकता देखा.
संजीव के बेटे ने क्या कहा?
संजीव के बेटे ने आगे बताया कि पिता ने व्हाट्सएप पर मुझे मैसेज भी किया था लेकिन देखने से पहले डिलीट कर दिया था. पता नहीं वो आखिरी बार क्या कहना चाहते थे. कल रात से वो बहुत परेशान दिख रहे थे. हमने उनसे पूछा भी लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया. बेटेन ने कहा कि अगर पापा ने बताया होता तो शायद पर वक्त रहते कुछ कर पाते और उन्हें इस तरह दुनिया से परेशान होकर ना जाना पड़ता. संजीव के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है.
बेटे ने सरकार से उनके पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग की है. इस मामले में सबसे बड़ा सबूत वो 18 पन्नों का रेजिस्टर है जिसमें संजीव ने अपने साथ हुई हर बात को पूरी डीटेल में लिखा है. इस रेजिस्टर की फिलहाल जांच की जा रही है जिससे ये बात साफ हो पाएगी कि आखिर संजीव के साथ क्या-क्या हुआ था.
मिड डे मील में खेल का गेम
प्रधानाध्यापक के बेटे ने बताया की विद्यालय में तैनात शिक्षक राघवेंद्र सिंह उनके पिता पर मिड डे मील को लेकर खेल करने की बात करता था मतलब की मिड डे मील में ऐसा खेल करने के लिए बोलता था की कुछ तुम्हें बचे और कुछ मुझें बचे, लेकिन ऐसा करने से प्रधानाचार्य ने मना कर दिया था. वहीं इस मामले में बीएसए अधिकारी मोनिका का भी नाम सामने आया है. बीएसए अधिकारी पर आरोप है कि वो राघवेंद्र के हिसाब से ही चलती थीं. उसी की बात पर भरोसी कर के कई बार उन्होंने संजीव के खिलाफ गलत शिकायतें भी की थीं. इस तरह से उन्हें परेशान किया कि आखिर एक स्कूल के प्रिसिंपल के पास अपनी जान लेने के अलावा कोई और चारा ना रहा. ये वाक्या दिखाता है कि एक ऐसा शख्स जो सच्चाई की राह पर आगे बढ़ना भी चाहता हो तो लोग उसे ऐसा करने नहीं देते, और अंत में शख्स को केवल एक ही रास्ता नजर आता है और वो है मौत का…