महाराष्ट्र चुनाव से पहले वोट जिहाद पर घमासान मचा है. यह राग खुद देवेंद्र फडणवीस ने छेड़ा है. फडणवीस ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा वोट जिहाद के चलते महाराष्ट्र की कम से कम 14 सीटों पर हारी है. इसके लिए उन्होंने धुले लोकसभा क्षेत्र के चुनावी नतीजों का उदाहरण दिया है.
महाराष्ट्र चुनाव में दो महीने से कम का वक्त बचा है. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस ने वोट जिहाद का राग छेड़कर महाराष्ट्र की राजनीति में नया बवाल खड़ा कर दिया है. फडणवीस के बयान पर विपक्ष हमलावर है. शिवसेना नेता संजय रावत ने फडणवीस के बयान को देश तोड़ने वाला बताया है तो कांग्रेस ने इसे ओछी राजनीति कहा है.
फडणवीस ने आखिर क्या कहा था?
कोल्हापुर में कनेरी मठ संत समावेश कार्यक्रम में बोलते हुए फडणवीस ने वोट जिहाद का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान धुले की 6 विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 90 हजार वोटों से आगे चल रहा बीजेपी उम्मीदवार अकेले मालेगांव विधानसभा में 1 लाख 94 हजार वोटों से पीछे रहता है और 4 हजार वोटों से हार जाता है. यह वोट जिहाद का नतीजा है. फडणवीय यहीं नहीं रुके उन्होंने महा विकास अघाड़ी को इसका दोषी बताया और ये भी कहा कि महाराष्ट्र की 48 में से 14 सीटों पर ऐसे ही जिहादी तरीके से चुनाव हुए हैं.
विपक्षी दलों ने साधा निशाना
फडणवीस के बयान पर विपक्षी दल हमलावर हैं. संजय राउत ने कहा है कि कि फडणवीस देश को तोड़ना चाहते हैं. मुसलमान, जैन, पारसी, हिंदू वोट करें तो ठीक. उन्होंने सवाल भी पूछा है कि महाराष्ट्र में गुजरातियों के बीजेपी को वोट देने को क्या वोट जिहाद कहेंगे?. कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि फडणवीस धर्म के नाम पर ओछी राजनीति कर रहे हैं. उन्हें जनता से काफी मांगनी चाहिए. एसपी नेता अबु आजमी ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता संविधान की धज्जियां उड़ाने वालों को हराएंगे. एनसीपी शरद गुट के जितेंद्र आह्वाड ने फडणवीस से पूछा है कि बीजेपी की 60 सीटें कम किसने की. अयोध्या में क्यों हारे वहां कितने मुसलमान हैं.
क्या होता है वोट जिहाद?
जिहाद अरबी शब्द है, हिंदी में इसका अर्थ है नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए किया जाने वाला संघर्ष इसे दूसरे शब्दों में कहें किसी जायज मांग के लिए भरपूर कोशिश करना या आंदोलन करना भी जिहाद माना जाएगा. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक विद्वान रक्षात्मक युद्ध को सैन्य जिहाद माना जाता है. हाल के दशकों में आतंकी समूह भी इस शब्द का इस्तेमाल किया है. बात यदि वोट जिहाद की करें तो इस तरह का कोई शब्द नहीं है. इसे राजनीतिक दलों द्वारा किएट किया गया है. सबसे पहले इसकी शुरुआत लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी.
कब हुई थी वोट जिहाद की शुरुआत?
वोट जिहाद की शुरुआत लोकसभा चुनावों के दौरान यूपी में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम ने की थी. फर्रुखाबाद की एक जनसभा के दौरान उन्होंने मुस्लिम समुदाय से वोट जिहाद की अपील की थी. मारिया ने कहा था-
‘अगर अब भी एक नहीं हुए तो ये समझ लेना, हमारा नामों नस्ल मिटाने के लिए संघी सरकार कोशिश कर रही है. उसको तुम कामयाब करने का काम करोगे. उसके मंसूबों को कामयाब करने का काम करोगे, बहुत अक्लमंदी और खामोशी के साथ, एक साथ होकर वोटों का जिहाद करो.’
लोकसभा चुनाव के दौरान ये भी दावा किया गया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमाती संगठन ने सभी से एक जुट होकर वोट देने और पीएम मोदी को हराने की अपील की है. इसमें ऐलान किया गया था कि मुसलमान पार्टी न देखें, उम्मीदवार न देखें. उस कैंडीडेट को ही वोट दिया जाए जो भाजपा को हराने की स्थिति में हो.
देवेंद्र फडणनवीस और पीएम मोदी ने बोला था हमला
महाराष्ट्र में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अपील सामने आने के बाद देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि राज्य में मस्जिदों से वोट जिहाद कराया जा रहा है. जलसों में मुसलमानों से कहा जा है कि बीजेपी को हराना है. उन्होंने चुनाव आयोग से भी उस वक्त अपील की थी कि जिस तरह मजहब के नाम पर वोटर्स को प्रभावित किया जा रहा है, उसे चुनाव आयोग को देखना चाहिए. इसके बाद पीएम मोदी ने भी विपक्ष पर हमला बोला था और कहा था कि ये लोग मोदी को हराने के लिए वोट जिहाद अपना रहे हैं. वोट जिहाद के खिलाफ भाजपा नेता किरीट सोमैया ने भी आवाज उठाई थी. उन्होंने 4 जून को महाराष्ट्र के नतीजे आने के बाद वोट जिहाद को ही सीटें कम होने का जिम्मेदार माना था.