राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत मंगलवार को नागपुर पहुंचे. वहां उन्होंने स्वतंत्रता का स्वराभिषेक नाम के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. वहां नांद ब्रह्म की तरह से देशभक्ति और संस्कार गीत प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया था. इसमें मोहन भागवत ने लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने गीत के जरिए से लोगों को बताया कि जिंदगी कैसे जिएं और सबको पाठ पढ़ाया.
मोहन भागवत ने कहा, ‘हमको अच्छा बनना है, अपने देश को अच्छा बनाना है, हम सबको जागना है, देश को जगाना है, स्वयं अब जाग कर हमको अपना देश जगाना है, यह हमारे सामने काम है, उसी के लिए पढ़ाई है, उसी के लिए जीवन है. उसी के लिए परिवार की सुरक्षा है सब कुछ इसके लिए है. जीवन में जीत हार लगी रहती है ,परंतु जीत हार का महत्व नहीं रहता है.’
हमारा देश बनता है
उन्होंने आगे कहा कि जीवन किस लिए जिएं, जीवन कैसा जिएं, 1857 में जो लड़े उस समय स्वतंत्रता नहीं मिली. वह तो हार गए लेकिन आज भी उनकी कीर्ति गाते हैं . 1857 में वह नहीं लड़ते तो हम 1947 में आजाद नहीं होते, तब से जो प्रयास चले सम्मिलित उसका परिणाम है. इसलिए यह हम जो कर रहे हैं, वह आज उसको यस मिलता है. पुरस्कार मिलता है कि नहीं मिलता यह महत्व की बात नहीं है, इसके कारण हम बनते हैं और इसके कारण हमारा देश बनता है.
पहले हिंदुओं से की थी यह अपील
इससे पहले मोहन भागवत ने हिंदुओं से अपील करते हुए कहा था कि हिंदू समाज के लोगों को एकजुट होना होगा. हमारा ध्यान न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर होना चाहिए. स्वयंसेवकों को हमेशा सक्रिय रहना चाहिए और परिवारों में सद्भाव, पर्यावरण जागरूकता, स्वदेशी मूल्यों और नागरिकों की चेतना को बढ़ावा देना चाहिए. उनके इस बयान पर एआईएमआई ने एतराज किया था. मोहन भागवत के बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं.