महाराष्ट्र के पुणे में तेज रफ्तार पोर्शे कार एक्सीडेंट मामले में आरोपी को निबंध लिखने की सजा देने वाले दो अधिकारियों पर गाज गिरी है. जांच में उनके खिलाफ लापरवाही बरतने की बात सामने आई. रिपोर्ट मिलते ही शिंदे सरकार ने दोनों अधिकारियों को बर्खास्त किया है. बर्खास्त हुए अधिकारियों ने तेज रफ्तार कार से दो लोगों को कुचलने वाले नाबालिग आरोपी को 15 दिन तक ट्रैफिक पुलिस के साथ चौराहे पर खड़े होकर ट्रैफिक में मदद करने, सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने समेत मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी.
इसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए. महिला और बाल कल्याण विभाग ने जांच की. महिला और बाल कल्याण विभाग के कमिश्नर प्रशांत नरनवारे ने बीते जुलाई महीने में सरकार को पुणे पोर्शे केस में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट में जस्टिस जुएनाइल बोर्ड के दो अधिकारी दोषी पाए गए. उन्हें लापरवाही बरतने के आरोप में राज्य सरकार ने सस्पेंड किया है.
दो अधिकारियों को किया बर्खास्त
जस्टिस जुएनाइल बोर्ड ने पुणे पोर्शे केस के नाबालिग आरोपी को जिस तरह से निबंध लिखने की सजा दी और उसे तत्काल जमानत भी मिल गई. उसके बाद इस फैसले की सोशल मीडिया से शुरू हुई आलोचना सड़क पर एक तीव्र रोष के रूप में सामने आई, जिसके बाद नरनवारे को इस मामले में बोर्ड द्वारा लापरवाही बरतने के आरोपों के तहत जांच के आदेश दिए गए. महीने भर की जांच के बाद नरनवारे ने अपनी रिपोर्ट में माना कि बोर्ड के सदस्य ने लापरवाही बरती.
सड़क दुर्घटना में दो लोगो की मौत के बाद इस तरह के विवादित फैसले बोर्ड के नियमों के खिलाफ थे. अब इस मामले में सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है और बोर्ड के दो सदस्यों को बर्खास्त कर दिया है. एलएन धनावडे और कविता थोरात पर आरोप थे कि उन्होंने अपनी कानूनी ताकत का बेजा इस्तेमाल किया, जो जांच के बाद आरोप सही साबित हुए और दोनों को सस्पेंड कर दिया गया.
18 मई को हुआ था हादसा, दो लोगों की गईं थी जान
18 मई को महाराष्ट्र के पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक नाबालिग ने अपनी तेज रफ्तार पोर्शे कार से दो लोगों को टक्कर मार दी थी. हादसे में बाइक सवार अनीष अवधिया और अश्विनी कोस्टा की मौत हो गई थी. पुलिस ने कार चालक आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. जिस वक्त हादसा हादसा हुआ तब आरोपी शराब के नशे में धुत्त था. कोर्ट ने उसे पांच मामूली शर्तों पर जमानत दे दी. इनमें 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ ड्यूटी और सड़क दुर्घटनाओं और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्ते शामिल थीं. इन शर्तों पर जमानत देने पर खूब बहस छिड़ी. उसके बाद इस मामले की जांच की गई.