अर्थराइटिस जोड़ों की गंभीर बीमारी है. लाखो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. ये बीमारी बढ़ती उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाती है. इसके चलते जोड़ों में दर्द और स्टिफनेस की दिक्कत आती है. हालांकि, आज भी लोग इस बीमारी के बारे में कम जागरुक हैं. यही वजह है कि हर साल 12 अक्टूबर को वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाया जाता है.
गुरुग्राम के नारायणा हॉस्पिटल में कंसल्टेंट (ऑर्थोपेडिक्स) डॉ. हेमंत बंसल कहते हैं आजकल खराब खानपान और फिजिकल एक्टिविटी भी अर्थराइटिस का कारण बन रही है. इस बीमारी में शरीर के जोड़ों में सूजन और दर्द पैदा होता है. यह कई प्रकार की हो सकती है, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस सबसे साधारण है. आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि इससे बचने के लिए हमारा लाइफस्टाइल और खानपान कैसा हो.
अर्थराइटिस के कारण और लक्षण
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में डॉ. योगेश कुमार (डायरेक्टर- आर्थोपेडिक्स, जॉइंट रिप्लेसमेंट, स्पोर्ट्स इंजरी) बताते हैं कि अर्थराइटिस की समस्या के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. अगर आपके परिवार में अर्थराइटिस का इतिहास रहा है, तो आपको भी इसका खतरा हो सकता है. इसके अलावा, वजन बढ़ने से भी अर्थराइटिस का खतरा होता है.पुरानी चोट या जोड़ की चोट भी भविष्य में अर्थराइटिस का कारण बन सकती है.
अगर इसके लक्षणों की बात की जाए तो इसमें आपको जोड़ों में दर्द और सूजन, सुबह के समय जोड़ का कड़कपन, लचीलेपन की कमी और जोड़ों में गर्मी महसूस होने जैसी दिक्कतें सामने आ सकती हैं.
अर्थराइटिस से कैसे बचें
नई दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉ. बी एस मूर्ति (डायरेक्टर एंड सीनियर कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट) का कहना है कि इससे बचने के लिए अपने वजन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है.नियमित रूप से हल्के व्यायाम- जैसे योग, तैराकी, और वॉकिंग करना जरुरी है. ये जोड़ की लचक और ताकत को बनाए रखने में मदद करते हैं.
बात करें डाइट की तो कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजों को खाएं. लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें, बीच-बीच में उठकर थोड़ी स्ट्रेचिंग करें. अगर अर्थराइटिस की दिक्कत ज्यादा बढ़ गई है तोडॉक्टर जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी जैसे विकल्प की सलाह दे सकते हैं.