महाराष्ट्र में चुनाव की घोषणा के बीच एनडीए दलों की आपसी खटपट सुर्खियों में है. एक तरफ एकनाथ शिंदे और अजित पवार पार्टी के बीच भिड़त की खबरें हैं तो दूसरी तरफ गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर तनाव की चर्चा है. इन सबके बीच भारतीय जनता पार्टी अपने किले को चुस्त-दुरुस्त कर रही है.
कहा जा रहा है कि एनडीए की खटपट और आपसी टकराहट के बावजूद भारतीय जनता पार्टी सबसे मजबूत स्थिति में है. हरियाणा की जीत से उत्साहित बीजेपी ने महाराष्ट्र को लेकर भी विनिंग फॉर्मूला खोज लिया है.
एमपी मॉडल पर बीजेपी बढ़ रही आगे
महाराष्ट्र में बीजेपी मध्य प्रदेश मॉडल पर आगे बढ़ रही है. 2023 के मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी के खिलाफ इसी तरह की एंटी इनकंबेंसी देखी गई थी, लेकिन पार्टी ने मतदान नजदीक आते-आते ऐसा खेल किया कि कांग्रेस चित हो गई.
बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यहां भी इसी तरह की रणनीति पर काम किया जा रहा है. दिलचस्प बात है कि महाराष्ट्र में चुनाव के प्रभारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव की जोड़ी ही मध्य प्रदेश में भी सक्रिय थी.
दोनों को पार्टी ने लोकसभा के बाद महाराष्ट्र में भेजा है. भूपेंद्र भीतरघात को खत्म करने में माहिर माने जाते हैं. कहा जा रहा है कि बीजेपी के नेता मुंबई और विदर्भ में सबसे ज्यादा गुटबाजी में लगे हुए थे, भूपेंद्र लगातार इन इलाकों में ही बैठक कर रहे हैं.
महिलाओं को साधने की रणनीति पर काम
मध्य प्रदेश में जिस तरह से बीजेपी ने जीत हासिल की थी, उसमें महिलाओं की बड़ी भूमिका मानी गई थी. बीजेपी महाराष्ट्र में भी उसी मॉडल पर आगे बढ़ रही है. लड़की बहिन योजना का श्रेय भी बीजेपी अपने खाते में लेती दिख रही है.
दो दिन पहले पार्टी की तरफ से जो इसको लेकर पोस्टर जारी किया गया था, उसमें देवेंद्र फडणवीस का चेहरा सबसे बड़ा था. आमतौर पर इस योजना में एकनाथ शिंदे, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की तस्वीर एक जैसी रहती है.
महाराष्ट्र में कुल 4.6 करोड़ महिला मतदाता है. बीजेपी इसी के बूते खुद को मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है.
बीजेपी की रणनीति कांग्रेस को ध्वस्त करने की
बीजेपी से जुड़े नेताओं की मानें तो महाराष्ट्र में पार्टी का मुकाबला अधिकांश सीटों पर कांग्रेस से होना है. बीजेपी इस चुनाव में 160 सीटों पर लड़ने को तैयार है. कांग्रेस भी 110 सीटों पर लड़ सकती है. कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच करीब 80 सीटों पर सीधा मुकाबा हो सकता है.
मसलन, विदर्भ और पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी और कांग्रेस के बीच की मुख्य मुकाबला होना है. लोकसभा में भी ऐसा ही हुआ था.
बीजेपी ने इस बार इन इलाकों में कांग्रेस को ध्वस्त करने की रणनीति तैयार कर ली है. पार्टी हार्ड हिंदुत्व के साथ-साथ विदर्भ में कांग्रेस के शासनकाल के मु्द्दे को उठाएगी. विदर्भ इलाके में बीजेपी की मदद पर्दे के पीछे आरएसएस भी कर रही है. मुंबई और नागपुर में संघ और बीजेपी के बीच इसको लेकर कई दौर की मीटिंग भी हो चुकी है.
टिकट वितरण में भी सावधानी बरत रही है
बीजेपी टिकट वितरण में भी सावधानी बरत रही है. पार्टी ने सीट बंटवारे के साथ-साथ जिताऊ उम्मीदवारों को भी फाइनल कर लिया है. कहा जा रहा है कि एक-दो दिन में इनमें से अधिकांश उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए जाएंगे.
बीजेपी पहले उन सीटों पर नाम फाइनल करेगी, जो सबसे कमजोर स्थिति में है. मध्य प्रदेश की तरह ही टॉप लेवल पर डैमेज कंट्रोल का जिम्मा अमित शाह के पास है. शाह पिछले एक महीने में 3 से ज्यादा दौरा कर चुके हैं.
हर मीटिंग के बाद शाह बंद कमरे में नेताओं से फीडबैक ले रहे हैं. साथ ही इन बैठकों में गुटबाजी छोड़ पार्टी के लिए काम करने की नसीहत दे रहे हैं.
103 सीटों पर जीती थी, इसे बचाए रखने की कवायद
2019 में बीजेपी को 103 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी उस वक्त शिवसेना के साथ सत्ता में थी. बीजेपी इसे बचाने की कवायद में जुटी हुई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.
लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 73 सीटों पर बढ़त मिली थी. बीजेपी इसके बाद से ही डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.