उत्तर प्रदेश पुलिस एनकाउंटर को लेकर अक्सर चर्चा में रहती है. कई मामलों में अपराधियों की मौत के कारण आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ रहा है. इस बीच इन मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं. ये गाइडलाइंस राज्य के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार की ओर से जारी की गई हैं.
गाइडलाइंस में अब एनकाउंटर वाली जगह की वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है और दूसरे थाने की पुलिस घटनास्थल की जांच करेगी. कहा गया है कि पुलिस एक्शन से संबंधित सभी मामलों में मृतक का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों की संयुक्त टीम से कराया जाए. साथ ही साथ पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवाई जाए.
यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार की ओर से 11 अक्टूबर को जारी 16-सूत्रीय परिपत्र में निहित गाइडलाइंस 5 सितंबर को हुई गोलीबारी पर उठ रहे सवालों की पृष्ठभूमि में आए हैं, जिसमें जौनपुर निवासी मंगेश यादव, जिसके बारे में माना जाता है कि वह सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में डकैती में शामिल था, की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
FSL टीम के सबूतों की हो विवेचना
यूपी सरकार ने निर्देश दिया है कि जिन मामले में अपराधी की मौत हुई हो उनमें एफएसएल की टीम की ओर से घटनास्थल की फोटोग्राफी और घटनास्थल की दोबार संरचना जरूर करवाई जाए. साथ ही साथ उसके सभी सबूतों की विवेचना की जाए.
योगी सरकार ने कहा है कि घटना के तुरंत बाद मृतक के परिजनों को तत्काल सूचना दी जाए. पुलिस एक्शन में शामिल किए गए हथियारों को सरेंडर करने के बाद जांच करने के लिए कदम उठाए जाएं. जिन मामलों में अपराधी घायल होते हैं उनमें अपराधियों के हैंडवॉश करवाए जाएं. साथ ही उनसे बरामद हथियारों का बैलिस्टिक टेस्ट जरूर करवाया जाए.
असहज स्थिति खड़ी न हो
यूपी पुलिस को निर्देश दिया गया है कि जिन मामलों में पुलिसकर्मी और अपराधी घायल होते हैं उनमें दोनों की मेडिकल रिपोर्ट सीडी में संलग्न की जाए. पुलिस कार्रवाई के सभी मामलों में डीजी परिपत्र 2017 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाए. पुलिस से अपेक्षा की जाती है कि कार्रवाई से संबंधित सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से समय-समय पर निर्धारित मानकों और अपेक्षाओं को सुनिश्चित किया जाए. साथ ही साथ दी गई गाइडलाइंस के आधार पर कार्रवाई की जाए ताकि कभी भी असहज स्थिति खड़ी न हो सके.