बांग्लादेश में एक बार फिर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं. लेकिन इस बार राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को हटाने की मांग की जा रही है. इस प्रदर्शन के पीछे की वजह राष्ट्रपति का दो दिन पुराना बयान बताया जा रहा है.
दरअसल रविवार को राष्ट्रपति ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उनके पास शेख हसीना का इस्तीफा नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस्तीफे की बात सुनी थी लेकिन उससे जुड़ा कोई सबूत उनके पास नहीं है.
राष्ट्रपति का बयान से भड़के छात्र
राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के इस बयान से एक ओर मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में बनी अंतरिम सरकार पर संवैधानिक संकट छा गया है तो वहीं दूसरी ओर छात्र एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से 2 दिन के अंदर इस्तीफा देने की मांग की है, उनका कहना है कि शहाबुद्दीन ने अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है लिहाजा उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग
वहीं छात्रों के इस प्रदर्शन में कई लोगों के घायल होने की भी खबर है. जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हुई जिसमें 5 छात्र घायल हैं. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के मुख्य संयोजक हसनत अब्दुल्लाह ने मंगलवार को राष्ट्रपति के इस्तीफे समेत 5 मांगों का अल्टीमेटम दिया है.
छात्रों के अलग-अलग गुटों ने मंगलवार को बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन किया और अंतरिम सरकार के सामने कई मांगे रखीं. छात्रों की मांग है कि छात्र लीग, जुबा लीग और आवामी लीग पर बैन लगाया जाए, साथ ही संविधान में संशोधन कर 1972 के वर्जन को हटाया जाए. छात्रों का कहना है कि गुरुवार तक अगर नए राष्ट्रपति को नहीं चुना गया तो एक बार फिर सड़क पर आंदोलन करेंगे.
क्या अब भी बांग्लादेश की पीएम हैं शेख हसीना?
दरअसल 5 अगस्त को जब बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ तो कहा जा रहा था कि शेख हसीना ने आनन-फानन में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया, लेकिन राष्ट्रपति के इस बयान ने शेख हसीना के इस्तीफे पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्होंने शेख हसीना से इस्तीफा लेने की बहुत कोशिश की लेकिन शायद उनके पास समय नहीं था. उनके इस बयान से सवाल उठ रहे हैं कि क्या शेख हसीना ने इस्तीफा दिया ही नहीं और वह अब भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं? क्योंकि कुछ दिनों पहले हसीना के बेटे वाजिद जॉय ने भी कुछ ऐसा ही दावा किया था.
अब देखना होगा कि अगले 24 घंटे में अंतरिम सरकार राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को पद से हटाने के लिए कोई कदम उठाती है या नहीं. अगर वह पद पर बने रहते हैं तो एक बार फिर बांग्लादेश में जुलाई जैसा आंदोलन देखने को मिल सकता है.