महाराष्ट्र के चुनावी रण में अजित पवार ने 38 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, लेकिन सबसे चर्चित बांद्रा ईस्ट और अणुशक्ति नगर सीट पर पार्टी ने नाम होल्ड कर दिए हैं. अणुशक्ति नगर से नवाब मलिक और बांद्रा ईस्ट से बाबा सिद्दीकी के बेटे जिशान सिद्दीकी विधायक हैं.
दोनों ही नेता एनसीपी (अजित) के कद्दावर माने जाते हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि 38 नामों की सूची में इन दोनों का नाम क्यों नहीं है?
नवाब के नाम पर बीजेपी ने लगाया वीटो?
नवाब मलिक उद्धव सरकार में मंत्री रहे हैं. उस वक्त उन्हें शरद पवार का काफी करीबी माना जाता था. नवाब को महाविकास अघाड़ी सरकार का संकटमोचक कहा जाता था. नवाब सबूत के साथ उस वक्त बीजेपी और केंद्र के अधिकारियों को निशाने पर लेते थे, लेकिन वक्त पलटा और महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत हो गई.
उद्धव की सरकार गिरी और नवाब जेल चले गए. उन पर दाऊद गैंग से पैसे लेने का आरोप लगा. इसी बीच शरद पवार की पार्टी में भी टूट हो गई. अजित बीजेपी के साथ सरकार में चले गए. नवाब मलिक जब जेल से जमानत पर बाहर आए तो चर्चा थी कि फिर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे, लेकिन नवाब अजित के साथ चले गए.
अजित के साथ जाने के बाद नवाब मलिक कभी विवादों में नहीं आए, लेकिन अब नवाब के साथ खेल हो गया है. कहा जा रहा है कि अजित अब उन्हें टिकट नहीं दे पा रहे हैं. इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी का वीटो है. बीजेपी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने हाल ही में कहा है कि दाऊद से जुड़े लोगों का गठबंधन में कोई जगह नहीं है.
नवाब के बदले उनकी बेटी शना को टिकट मिलने की चर्चा है. हालांकि, एनसीपी की तरफ से जो लिस्ट जारी की गई है, उसमें शना का नाम नहीं है.
बाबा के बेटे जिशान की क्यों फंसी उम्मीदवारी?
बाबा सिद्दीकी के बेटे जिशान सिद्दीकी 2019 में कांग्रेस के सिंबल पर बांद्रा ईस्ट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. जिशान को इस दौरान प्रमोशन भी मिला और वे यूथ कांग्रेस के मुंबई अध्यक्ष बनाए गए. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सिद्दीकी परिवार का कांग्रेस से मोहभंग होने लगा.
पहले बाबा सिद्दीकी और फिर उनके बेटे जिशान सिद्दीकी अजित कैंप में आ गए. जिशान बांद्रा ईस्ट से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. हाल ही में चुनाव कैंपेन के दौरान जिशान के पिता बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी गई है.
जिशान के नाम न आने की वजह बांद्रा को लेकर फंसा पेच है. बांद्रा ईस्ट पर शिवसेना (शिंदे) और बीजेपी दोनों दावा कर रही है. शिवसेना (शिंदे) का कहना है कि यह सीट परंपरागत रूप से उसकी है.
वहीं पिछले चुनाव में यहां शिवसेना का खेल बिगाड़ने वाली त्रिपुति सावंत के जरिए बीजेपी अपने पाले में इस सीट को चाहती है. कहा जा रहा है कि इसी वजह से अजित यहां उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाए हैं.
बांद्रा का पेच कब तक सुलझता है, ये देखने वाली बात होगी. कांग्रेस की तरफ से यहां सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
खुद बारामती से लड़ेंगे, दिग्गजों को भी उतारा
सभी अटकलों को खारिज करते हुए अजित पवार फिर से बारामती सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर गए हैं. अजित बारामती में एनडीए के उम्मीदवार होंगे. पहले चर्चा थी कि अजित इस सीट पर अपने बेटे को उम्मीदवार बना सकते हैं.
खुद उतरने के साथ-साथ अजित पवार ने छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, आदिति तटकरे, हसन मुश्रिफ, नरहरि झिरवाल और दिलीप वल्से पाटिल को भी मैदान में उतारा है. सभी अपने पुराने सीटों पर ही चुनाव लड़ेंगे.
55-56 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी अजित की पार्टी
अजित पवार की पार्टी को महाराष्ट्र में 55-56 सीटें मिली है. बीजेपी 160 के आसपास सीटों पर लड़ेगी, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 75-80 सीटें प्राप्त हुई है. हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा किसी भी पार्टी ने नहीं की है.
अजित पवार को मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र की अधिक सीटें मिली है. बीजेपी विदर्भ और मुंबई के साथ-साथ नॉर्थ महाराष्ट्र की ज्यादा सीटों पर लड़ेगी. शिंदे मुंबई और ठाणे-कोकण की ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.
महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होने हैं. राज्य में वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी. यहां सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है.