लखीमपुर खीरी हिंसा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा का चेताया, कहा- जमानत शर्तों का सावधानीपूर्वक करें पालन
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. इस मामले मेंसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि वह 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उन पर लगाई गई जमानत शर्तों का सावधानीपूर्वक पालन करें.
मृतक के परिवारों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ को अवगत कराया कि आशीष मिश्रा सुप्रीम कोर्ट की जमानत के आदेश में लगाई गई शर्तों का उल्लंघन कर सार्वजनिक बैठकों में भाग ले रहे हैं.
जमानत की शर्त में कहा गया था कि आरोपी मुकदमे की तय तारीख से एक दिन पहले उस स्थान पर जाने का हकदार होगा जहां मुकदमा लंबित है.
आशीष मिश्रा पर लगे ये हैं ये आरोप
भूषण ने कहा कि आशीष मिश्रा 2 अक्टूबर को वहां गए थे, जो छुट्टी का दिन था और 3 अक्टूबर को मुकदमे की कोई तारीख तय नहीं थी. उन्होंने वहां एक विशाल रैली और जनसभा की. हम जानते हैं कि वह वहां थे, उन्हें जवाब देना चाहिए कि वह वहां गए थे या नहीं. हम तस्वीरें पेश करेंगे.
इसका विरोध करते हुए आशीष मिश्रा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि कृपया तस्वीरें पेश करें. जब भी यह मामला सामने आया तो मेरे मित्र जमानत आदेश के उल्लंघन के बारे में आरोप लगाते हैं.
भूषण ने जवाब दिया कि हम न्यायालय की अवमानना की मांग करते हुए एक आवेदन दायर करेंगे. वह लगाई गई जमानत शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं.
न्यायाधीश ने आवेदन दायर करने का दिया निर्देश
इस पर हस्तक्षेप करते हुए, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आप एक आवेदन दायर करें. अगर किसी ने केवल होर्डिंग लगाई है या वह (आशीष मिश्रा) वास्तव में वहां था. एक बार जब हमने शर्तें लगा दी हैं, तो उनका सावधानीपूर्वक पालन किया जाना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि ट्रायल जज की रिपोर्ट की एक प्रति रिकॉर्ड पर नहीं रखी गई थी और इस बीच, भूषण से जमानत शर्तों के उल्लंघन के बारे में एक औपचारिक आवेदन दायर करने के लिए कहा.
जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आशीष मिश्रा को दी गई अंतरिम जमानत की पुष्टि की और उसे पूर्ण बना दिया कि तब तक 114 गवाहों में से केवल सात की ही जांच की गई थी. जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई थीं.